इसके बाद मुख्य न्यायाधीश भट्ट ने कहा कि अभी राजस्थान उनके लिए नया है, यहां का ट्रेडिशन अलग है। यहां से सीखने की चाहत है। न्याय व्यवस्था एक चुनौती है। सुप्रीम कोर्ट में सूचना का अधिकार कानून को लेकर दिए गए फैसले पर उन्होंने कहा कि यह लागू है। इसी तरह राजस्थान हाईकोर्ट में न्यायाधीश के खाली पदों को लेकर पूछे गए सवाल पर कहा कि अभी तो उन्होंने पद संभाला ही है। समारोह में सीएम और नेता प्रतिपक्ष भी थे मौजूद समारोह के प्रारम्भ में मुख्य सचिव डी.बी. गुप्ता ने मुख्य न्यायाधीश की नियुक्ति का वारंट पढ़कर सुनाया।
समारोह में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, विधानसभा अध्यक्ष सी पी जोशी, नेता प्रतिपक्ष गुलाब चंद कटारिया, राज्य मंत्रिमण्डल के सदस्य, राजस्थान व दिल्ली हाईकोर्ट के मौजूदा व पूर्व न्यायाधीश तथा बडी संख्या में जस्टिस भट्ट के परिजन उपस्थित थे। समारोह के बाद मुख्य न्यायाधीश भट्ट वहां मौजूद सभी लोगों के पास जाकर मिले और लोगों ने उन्हें बधाईयां दीं। इस मुलाकात में उनकी सहजता साफ झलक रही थी।
गेट पर रोकने से नाराज हुए न्यायाधीश समारोह के बाद मुख्य न्यायाधीश सहित अन्य अति विशिष्ट व्यक्तियों के लिए राजभवन स्थित मुख्य हॉल में अल्पाहार की व्यवस्था की गई थी। राजस्थान हाईकोर्ट के न्यायाधीश महेन्द्र माहेश्वरी व एक अन्य न्यायाधीश ने इस हॉल में जाने का प्रयास किया, लेकिन उनको रोक दिया गया। इसको लेकर राजस्थान बार कौंसिल के सदस्य भुवनेश शर्मा ने विरोध जताया। यह सब देखकर इस हॉल की ओर बढ़ रहे राजस्थान हाईकोर्ट के कुछ अन्य न्यायाधीश वापस लॉन की ओर ही मुड गए।
शपथ की खुशी, लेकिन दिल्ली से बिछुडऩे का दुख दिल्ली बार कौंसिल के अध्यक्ष के सी मित्तल ने जस्टिस भट्ट को लेकर कहा कि राजस्थान को खरे सोने जैसा न्यायाधीश मिल रहा है। उनके दिल्ली से बिछुडऩे का दुख हो रहा है, लेकिन मुख्य न्यायाधीश बनने की खुशी है। मित्तल ने जस्टिस भट्ट के यादगार फैसले गिनाते हुए कहा कि 2007 में जब सुप्रीम कोर्ट के सीपीआइओ ने आरटीआइ को लेकर याचिका दायर की थी, तो दिल्ली हाईकोर्ट बार एसोसिएशन अध्यक्ष के तौर पर उस केस में वे भी बहस करते थे। इस फैसले के बाद न्यायपालिका क्या है, इसका खुलासा होने लगा है। इसी तरह भट्ट के सामने एक केस आया था, जिसमें एक व्यक्ति 18द्वस्रड्डह्यद्ध;19 साल से जेल में बंद था। न्यायाधीश भट्ट ने उस मामले में सुधारात्मक सिद्धान्त अपनाते हुए कहा कि जेल में आदमी शरीर से भले न मरे, लेकिन वैसे मरे हुए समान हो जाता है। मित्तल ने कहा, न्यायाधीश भट्ट के लिए जनहित सर्वोपरि रहता है, यह उन्होंने कोर्ट में एक नहीं कई बार दिखाया।