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सात माह की बालिका से बलात्कार के आरोपी की फांसी रद्द, लेकिन उम्रकैद और 90 हजार रुपए जुर्माना

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जयपुरNov 15, 2018 / 07:53 pm

pushpendra shekhawat

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सात माह की बालिका से बलात्कार के आरोपी की फांसी रद्द, लेकिन उम्रकैद और 90 हजार रुपए जुर्माना

शैलेन्द्र अग्रवाल / जयपुर। हाईकोर्ट ने अलवर जिले में करीब 6 माह पहले 7 माह की बालिका से बलात्कार करने वाले 20 वर्षीय युवक की फांसी को रद्द कर दिया है। कोर्ट ने मामले को दुर्लभतम अपराध मानने से इनकार करते हुए फांसी की सजा को उम्रकैद में बदल दिया है। भारतीय दण्ड संहिता के तहत कोर्ट ने उम्रकैद की सजा के तौर पर 20 साल की जेल की सजा दी है, वहीं पॉक्सो एक्ट के तहत भी आजीवन कारावास की सजा दी है। साथ ही, 90 हजार रुपए जुर्माना लगाया है और इसका भुगतान नहीं करने पर 3 साल 9 माह की अतिरिक्त सजा भोगनी पडेगी।
न्यायाधीश मनीष भण्डारी की अध्यक्षता वाली खण्डपीठ ने फांसी की पुष्टि के लिए अधीनस्थ अदालत से आए रेफरेंस व अभियुक्त पिंटू की अपील को निस्तारित करते हुए यह आदेश दिया है। पिंटू को 9 मई 18 को 7 माह की बालिका से बलात्कार करने के मामले में अलवर जिले की विशेष अदालत ने फांसी की सजा दी और 30 हजार रुपए जुर्माना लगाया। अपीलार्थी की ओर से कहा गया कि सजा देते समय उसकी उम्र का ध्यान नहींं रखा गया और मामला दुर्लभतम अपराध की श्रेणी में भी नहीं है।
अपीलार्थी के खिलाफ पर्याप्त साक्ष्य नहीं हैं और उसकी शादी भी हाल ही हुई है। यह भी कहा कि फांसी की सजा अपवादजनक है। इसके विपरीत सरकार की ओर से कहा कि 31 अप्रेल 18 को 12 साल से कम उम्र की बालिका से बलात्कार पर फांसी के लिए नया कानून लागू हो गया है। कोर्ट ने 90 हजार रुपए जुर्माना पीडि़त परिवार को दिलाने का आदेश देते हुए यह भी स्पष्ट किया है कि जुर्माना पीडि़त प्रतिकर स्कीम के तहत मिलने वाली राशि के अतिरिक्त होगी।
एक माह में ट्रायल और सजा
विशिष्ट न्यायाधीश अजा/अजजा (अत्याचार निवारण) न्यायालय ने 21 जून को प्रकरण में प्रसंज्ञान लेते हुए स्पीडी ट्रायल शुरू किया। प्रकरण 28 जून से न्यायालय में सुनवाई शुरू हुई, जो 16 जुलाई तक चली। अभियोजन पक्ष से 21 व मुल्जिम पक्ष से एक गवाह के बयान हुए। 18 जुलाई को आरोपी पिंटू को दोषी करार दिया तथा 21 जुलाई को उसे फांसी की सजा सुना दी गई।
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