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जयपुर

राजस्थान का रण – कानाफूसी: मुश्किल में पड़ेंगे ससुर जी

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जयपुरOct 14, 2018 / 01:11 am

abdul bari

कानाफूसी: मुश्किल में पड़ेंगे ससुर जी

राजस्थान का रण – कानाफूसी: मुश्किल में पड़ेंगे ससुर जी

भारतीय जनता पार्टी के मुखिया मदनलाल सैनी के कोटा में चिकित्सक दामाद भी चुनाव लडऩे के लिए खम ठोक रहे हैं। मजेदार बात यह कि उनकी दावेदारी का झुकाव कांग्रेस की तरफ ज्यादा है। उन्हें उम्मीद भी है कि कांग्रेस उन्हें मौका देगी। पिछले दिनों राज्य भर में भाजपा की जिम्मेदारी संभालने के बाद सैनी जब कोटा आए थे तब इन्हीं दामाद ने उनका विशाल काफिले के साथ स्वागत करने में कोई कसर नहीं छोड़ी थी। इसके बाद भी ‘पापाजी’ संकेत समझ ही नहीं पाए। इसलिए दामाद अब दूसरी पार्टी में जमीन तलाश रहे हैं। उधर दामाद सार्वजनिक तौर पर यही कह रहे है कि कोई भी पार्टी टिकट देगी तब विचार करूंगा। अभी फाइनल नहीं है, बीजेपी या कांग्रेस।
नाराजगी का डर,नहीं दी पार्टी
चुनाव नजदीक आते ही दावेदारों की बाछें खिल जाती है लेकिन कई मर्तबा देखने में आता है कि चुनावों की वजह से लोग अपनी खुशियां दावत के रूप में सार्वजनिक नहीं कर पाते। ऐसा ही वाकिया अजमेर से एक पूर्व राज्य मंत्री के घर पर हुआ। उनके घर में पोती का जन्म हुआ है। अमूमन घर पर होने वाले शादी समारोह को बड़े स्तर पर करने वाले इस नेता दंपती के लिए यह मौका भी खास था। मिलने जुलने वालों ने तो पार्टी की भी फरमाइश कर डाली लेकिन विधानसभा चुनाव नजदीक हैं। टिकट मिला तो जिन लोगों को समारोह में बुलाने से चूक गए, उनकी नाराजगी मतदान के दौरान देखने को मिल सकती है। बस इसी डर से उन्होंने मन मसोस कर समारोह आयोजित करने का विचार त्याग दिया।
बायोडेटा ने चकराया
जालोर में भाजपा की जिला बैठक में आए राष्ट्रीय सह संगठन महामंत्री वी. सतीश व भाजपा के चुनाव प्रबंध समिति के सह संयोजक सतीश पूनिया को एक दावेदार ने अजीब सा बायोडेटा थमा दिया। बायोडेटा में उसके परिचय, उपलब्धियों व दायित्वों के साथ ही धर्म गुरुओं के फोटो लगे थे। पदाधिकारियों को एकबारगी तो यह बायोडेटा किसी मंदिर के प्राण प्रतिष्ठा महोत्सव की आमंत्रण पत्रिका जैसा लगा। इस बायोडेटा में धर्मगुरुओं और प्रमुख पदाधिकारियों के साथ कार्यक्रमों के फोटो लगाने की बात ये पदाधिकारी भी समझ नहीं पाए। चर्चा चली, आखिर इस तरह के बायोडेटा के पीछे राज क्या है? धर्म गुरुओं के फोटो से यह दावेदार आखिर जताना क्या चाहते थे? खैर, जो भी हो किसी ने चुटकी ली- क्या पता इन धर्म गुरुओं के आशीर्वाद से ही टिकट मिल जाए!
दीदी लड़ेगी तो हमारा क्या?
उदयपुर शहर से कांग्रेस में पिछले पांच साल से 2018 का विधानसभा चुनाव लडऩे के लिए ताल ठोक रहे कुछ दावेदारों के चेहरों पर इन दिनों निराशा छाई है। जब से यह नाम आया कि दीदी इन दिनों उदयपुर में सक्रिय है और वे चुनाव उदयपुर शहर से ही लडऩे की तैयारी कर रही है। चित्तौडगढ़़ से आकर दीदी ने उदयपुर में मीडिया से चाय-चर्चा भी ज्यादा कर ली है और अब टिकट चर्चा भी है। पार्टी का टिकट मांगने वाले उदयपुर कांग्रेस के नेता मन मार रहे है कि दीदी ने चुनाव लड़ा तो उनकी बिछाई जाजम तो गई मानो….।
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