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राजस्थान का रण: किसान-कृषि के 10 साल: हर दल सत्ता में आते ही भूल गया वादे, पढ़ें यह खास रिपोर्ट

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जयपुरSep 02, 2018 / 01:54 pm

Kamlesh Sharma

farmer
सुनील सिंह सिसोदिया/ जयपुर। किसान-कृषि क्षेत्र को लेकर राज्य की गत कांग्रेस और वर्तमान भाजपा सरकार के कामकाज को देखें तो घोषणा पत्र के वादे आधे भी पूरे नहीं हुए। वर्तमान सरकार ने इस क्षेत्र में 46 वादे किए गए थे, लेकिन काफी अधूरे हैं।
इसी तरह कांग्रेस के कार्यकाल में भी अनेक महत्वपूर्ण घोषणाएं अधूरी ही रह गईं। किसानों की दुर्दशा को लेकर विपक्षी दल कांग्रेस लगातार भाजपा सरकार को घेरे हुए है। वहीं भाजपा सरकार किसानों की ऋण माफी को बड़ा काम बता रही है।
घोषणा पत्र को बनाया नीति पत्र
भाजपा सरकार ने सत्ता में आते ही चुनाव घोषणा पत्र को सरकार का नीति पत्र घोषित कर दिया। इसके आधार पर राज्य सरकार ने घोषणा पत्र में किए वादों पर अमल करना शुरू कर दिया। इसके मुताबिक राज्य बजट में प्रावधान कर सरकार ने कुछ योजनाओं पर काम करना शुरू कर दिया।
सरकार कोई भी, इन पर हुआ काम
भाजपा व कांग्रेस सरकारों की ओर से किसान व कृषि क्षेत्र के लिए जो घोषणाएं की गई, वे मुख्यत: राज्यभर में लागू की जानी थी। जितने वादे चुनाव घोषणा पत्र में किसानों के लिए किए गए, अधिकांश पूरे नहीं हुए हैं। आपदा राहत मुआवजे में बढ़ोतरी, फसल खरीद, कर्जमाफी, बीमा क्षेत्र,खाद-बीज उपलब्धता में कुछ काम हुआ है।
भाजपा और कांग्रेस की 5 बड़ी घोषणाएं
न्यूनतम समर्थन मूल्य पर कई फसलों की खरीद का काम शुरू हो चुका
किसानों को सस्ती व पर्याप्त बिजली आपूर्ति करना, इसमें अभी काफी काम बाकी
फसल बीमा की नई नीति प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना लागू हो चुकी
किसान को खाद, बीज और दवा उपलब्ध कराई जा रही है।
वर्ष 2013: भाजपा का घोषणा पत्र, कितना हुआ अमल
सिंचित क्षेत्र में लगान माफ किया गया।
किसानों को खाद, बीज दवा मिल रही है।
खेत में कार्य करने या पशु चराते समय मृत्यु पर मुआवजा पुरानी योजना के अनुरूप ही दिए जा रहे हैं।
फसल बीमा की नीति केन्द्र सरकार ने जारी की है।
फसल की समर्थन मूल्य पर खरीद और बोनस उपज अनुसार सीधे खाते में देने पर कुछ काम हुआ है।
प्रत्येक ग्राम पंचायत स्तर पर मिट्टी, पानी प्रयोगशाला और उर्वरक व बीज विक्रय केन्द्र का काम मात्र 116 पंचायत समिति स्तर पर ही हुआ।

कर्ज वसूली से किसान भूमिहीन नहीं हो, इसको लेकर काम होना था, लेकिन इसके लिए केवल टीएसपी एरिया में ही सम्पूर्ण ऋण माफ किया गया है।
वादे के मुताबिक मेहंदी, लहसुन, ग्वारपाठा, ग्वार, जीरा, धनिया, ईसबगोल, अरंडी फसल का समर्थन मूल्य अभी तक घोषित नहीं किया जा सका। हालांकि बाजार भाव गिरने पर लहसुन की बाजार हस्तक्षेप योजना के तहत खरीद की गई है।
कृषक अधिनियम बनाया जाना था, नहीं बना।


वर्ष 2013: कांग्रेस का घोषणा पत्र इनके लिए किया आंदोलन
न्यूनतम समर्थन मूल्य पर फसलों की खरीद व्यवस्था करना
किसानों को सस्ती दर पर बिजली
कृषि के वैकल्पिक धंधे के रूप में पशुपालन एवं डेयरी उद्योग को बढ़ावा देना
गौवंश संरक्षण व संवर्धन के प्रयास
पैदावार का अधिक लाभ दिलाने को स्थानीय उत्पादनों को बिक्री केन्द्र व निर्यात प्रोत्साहन देना
विधानसभा से सडक़ तक कांग्रेस का आंदोलन
कांग्रेस ने किसानों को मुद्दों को लेकर विधानसभा से लेकर सडक़ तक आंदोलन किया। हालांकि कांग्रेस का आंदोलन घोषणा पत्र में किए वादों के बजाय किसानों दुर्दशा, आत्महत्या, मुआवजे, सस्ती बिजली सहित अन्य तात्कालिक मुद्दों पर रहा। सडक़ पर आंदोलन किए, तो विभानसभा में दो दिन तक विधायक धरने पर बैठे रहे।
कांग्रेस का आरोप
150 आत्महत्या के मामले पहली बार बड़ी संख्या में सामने आए हैं। गृहमंत्री ने ३ किसानों के आत्महत्या की बात स्वीकारी।


सडक़ से लेकर विधानसभा तक कांग्रेस ने किसानों की मांगों को लेकर आंदोलन किया है। कर्जमाफी, किसानों के आत्महत्या करने या फिर चाहे मुआवजे का मामला हो। कांग्रेस आगे भी आंदोलन जारी रखेगी।
अर्चना शर्मा, मीडिया चेयरपर्सन प्रदेश कांग्रेस कमेटी
भाजपा ने चुनाव घोषणा पत्र में जो वादे किए थे, उसमें से 80 फीसदी से ज्यादा पूरे कर दिए हैं। फिर चाहे फसल बीमा, आपदा राहत में मुआवजा बढ़ोतरी, कर्जमाफी के मामले में सरकार ने किसानों को बड़ी राहत दी है।
प्रभुलाल सैनी, कृषि मंत्री

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