जेडीए अफसरों को इसकी जानकारी मिली तो उनकी नींद टूटी। इसके बाद मौके पर पहुंचे और उस हिस्से में यातायात बंद करवाया। लॉन्चर करीब 50 फीट लम्बा है और वजन कई टन है। जेडीए इंजीनियरों की मॉनिटरिंग में कमी और अनुबंधित कंपनी की काम में लापरवाही के कारण यह हालात बने। यदि लॉन्चर नीचे गिरता तो बड़ा हादसा हो सकता था। इस प्रोजेक्ट की जिम्मेदारी अधिशासी अभियंता विवेक शर्मा के पास है।
आपको बता दें कि यह प्रोजेक्ट हिस्सा सिविल लाइंस इलाके से सटा है। यहीं से मुख्यमंत्री अशोक गहलोत का काफिल भी गुजरता है। इसके बावजूद न केवल निर्माण में लगातार देरी हो रही है बल्कि लगातार हादसे की नौबत भी आ रही है। इसी कारण नगरीय विकास मंत्री शांति धारीवाल अफसरों को फटकार तक लगा चुके हैं, जिसके बाद जेडीए ने कंपनी को नोटिस भी थमाया। हालांकि, कंपनी ने भी खुद को बचाने के लिए जेडीए की खामियों का पुलिंदा तैयार किया। अगर यह प्रोजेक्ट समय पर पूरा होता है तो अम्बेडकर सर्किल से वैशाली नगर, भांकरोटा, निर्माण नगर, श्याम नगर और अजमेर रोड की तरफ जाने वालों को एक भी जगह रुकने की जरूरत नहीं रहेगी। साथ ही न्यू सांगानेर रोड, गुर्जर की थड़ी, मानसरोवर जाने वाले लाखों वाहन चालकों को भी सहूलियत हो जाएगी।
विशेषज्ञों के मुताबिक ऐसे निर्माण के वक्त कई नियम हैं जिनका पालन करना जरूरी है। उनका पालन न करने से या फिर लापरवाही बरतने की वजह से बड़ी दुर्घटनाएं हो सकती है। नियमों के मुताबिक ऐसे किसी निर्माण कार्य के समय निमार्णाधीन साइट पर काम जब चल रहा हो तो ट्रैफिक की आवाजाही पर रोक होनी चाहिए। किसी कारण से अगर ऐसा नहीं हो सकता तो ऐसे काम केवल रात में करने की इजाजत दी जाती है और जब ऊपर के दोनों नियम नहीं पालन किए जा सकते हों तो ऐसी सूरत में कुछ समय के लिए जिस हिस्से में काम चल रहा है उस हिस्से से कुछ दूरी पर ट्रैफिक को डाईवर्ट कर देना चाहिए।
यह है स्थिति
-250 करोड़ रुपए है प्रोजेक्ट की लागत
-जनवरी, 2019 में पूरा होना था काम
-जून,2020 तक बढ़ाई गई काम की मियाद
-69 फीसदी ही काम हो पाया है अब तक
-5 माह का वक्त और लगेगा अभी काम पूरा होने में
वाराणसी हादसे की याद ताजा
इस घटना ने उत्तर प्रदेश के वाराणसी पुल हादसे की याद ताजा कर दी। पीएम मोदी के निर्वाचन क्षेत्र वाराणसी के कैंट इलाके में 15 मई 2018 को निर्माणाधीन फ्लाईओवर का एक हिस्सा राहगिरों पर गिरने से 18 लोगों की मौत हो गई थी। प्रत्यक्षदर्शियों के मुताबिक पुल का गार्डर उस समय गिरा जिस समय पुल के नीचे ट्रैफिक जाम था। गिरते ही इस गार्डर की चपेट में कई कारें और दुपहिया वाहन आ गए। इस हादसे को याद करके एक बारगी आज भी लोग कांप उठते हैं।