दरअसल, कांग्रेस की कमान सचिन पायलट ( Sachin Pilot ) के पास है और भाजपा ने 82 दिन बाद आमेर विधायक सतीश पूनिया ( Satish Poonia ) को कमान सौंपी हैं। पायलट जहां गुर्जर समुदाय से आते हैं वहीं पूनिया जाट समुदाय से हैं। पायलट लगभग साढ़े पांच साल से कांग्रेस के प्रदेशाध्यक्ष ( Rajasthan Congress President ) हैं तो पूनिया के पास भी 14 साल तक भाजपा महामंत्री पद पर काम करने का अनुभव है। दोनों नेता युवा हैं और दोनों का अपना—अपना जनाधार।
अब आप सोच रहे होंगे कि इन बातों का ‘SP vs SP’ से क्या ताल्लुक है। तो समझिए, सचिन पायलट के नाम की शॉर्ट फॉर्म एसपी है, वहीं सतीश पूनिया के नाम की शॉर्ट फॉर्म भी एसपी है। तो हो गया ना एसपी वर्सेज एसपी के बीच मुकाबला।
52 निकायों में हैं चुनाव इस साल नवंबर में 52 निकायों में चुनाव हैं। इसी महीने की 18 तारीख को सीटों के आरक्षण की लॉटरी निकल जाएगी। माना जा रहा है कि सभापति, चेयरमैन और महापौर पद की लॉटरी भी इस महीने निकलेगी और इनका चुनाव भी सीधे जनता के माध्यम होगा। कांग्रेस ने वार्डों का परिसीमन भी कर दिया है। ऐसे में भाजपा की राह आसान नहीं है।
वहीं, शहरों में भाजपा की स्थिति हमेशा मजबूत रही है। ऐसे में कांग्रेस को भी जीत के लिए पसीना बहाना पड़ेगा। इस वजह से मुकाबला रोचक और कड़ा होना लाजमी है। दोनों पार्टियों के एसपी जीत को लेकर दावे भी कर रहे हैं। मगर चाबी जनता के हाथ में है और वो जिसे चाहेगी, उसे जिताएगी।
बहरहाल नवंबर में होने वाला चुनाव बेहद रोचक होने वाला है। एसपी वर्सेज एसपी के बीच होने वाला यह चुनाव दोनों पार्टियों की साख का सवाल बना हुआ है। भाजपा लोकसभा चुनावों में सभी 25 सीटों पर जीत से लबरेज हैं तो कांग्रेस अपने शासन के नौ महीने के कार्यकाल में किए कामों के आधार पर जनता के बीच जाकर वोट मांगेगी।