चुनाव से ठीक पहले पाला बदलने वाले राजस्थान के दिग्गज तीन नेताओं को हार मुंह देखना पड़ा। सबसे बड़ी हार पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार में कैबिनेट मंत्री रहे महेंद्रजीत सिंह मालवीय की रही। मालवीय ने लोकसभा चुनाव से ठीक पहले कांग्रेस से इस्तीफा देकर भाजपा का दामन थाम लिया था। भाजपा में जाने से पहले मालवीय ने बागीदोरा विधानसभा सीट से भी त्यागपत्र दे दिया था। भाजपा ने उन्हें बांसवाड़ा से टिकट दिया था। लेकिन भाजपा का यह दांव उलटा पड़ गया।
बांसवाड़ा से भारत आदिवासी पार्टी (बीएपी) के उम्मीदवार राजकुमार रोत ने 2 लाख 47 हजार मतों से हरा दिया। 2019 में कांग्रेस की टिकट पर नागौर लोकसभा सीट से चुनाव लडऩे वाली ज्योति मिर्धा ने भी आम चुनाव से पहले भाजपा का दामन थाम लिया था। मिर्धा को उम्मीद थी कि इस बार वह पीएम मोदी के नाम पर चुनाव जीत जाएंगी। लेकिन, हुआ इसके उलट। कांग्रेस ने गठबंधन के तहत नागौर सीट राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी (आरएलपी) प्रमुख हनुमान बेनीवाल के लिए छोड़ दी थी।
बेनीवाल ने 42 हजार से अधिक वोटों से ज्योति मिर्धा को हराकर जीत दर्ज की। 2019 के चुनाव में मिर्धा को बेनीवाल के हाथों शिकस्त झेलनी पड़ी थी। कोटा से लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला को टिकट दिए जाने से नाराज भारतीय जनता पार्टी नेता प्रहलाद गुंजल ने भी चुनावों से ठीक पहले कांग्रेस का दामन थाम लिया था। हालांकि, दोनों नेताओं के बीच कांटे की टक्कर हुई और बिरला कोटा सीट 42 हजार से अधिक मतों से जीतने में सफल रहे।
इन नेताओं ने दर्ज की शानदार जीत
वहीं, चूरू लोकसभा सीट से भाजपा की टिकट पर पिछला चुनाव जीतने वाले राहुल कस्वां को इस बार पूरी उम्मीद थी कि पार्टी ने उन्हें टिकट जरूर देगी। लेकिन, पिछली वसुंधरा राजे सरकार में कैबिनेट मंत्री रहे राजेंद्र राठौर से उनकी कथित तनातनी के चलते पार्टी ने उनका टिकट काटकर देवेंद्र झाझडिय़ा को दे दिया। इससे नाराज होकर कस्वां ने पार्टी छोड़कर कांग्रेस का दामन थाम लिया और पार्टी ने उन्हें हाथों हाथ चूरू से टिकट भी दे दिया।
राहुल कस्वां ने देवेंद्र झाझडिय़ा को 72 हजर से अधिक मतों से हराकर इस सीट पर अपना कब्जा बरकरार रखा। देश की सबसे चर्चित सीटों में से एक बाड़मेर से कांग्रेस उम्मीदवार उम्मेदा राम बेनीवाल ने भाजपा प्रत्याशी कैलाश चौधरी और निर्दलीय उम्मीदवार रविंद्र सिंह भाटी को हराकर शानदार जीत दर्ज की। भाजपा प्रत्याशी कैलाश चौधरी तो तीसरे स्थान पर रहे। उम्मेदा राम कांग्रेस में आने से पहले हनुमान बेनीवाल की पार्टी में थे।