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जयपुर

Rajasthan Assembly सत्र से ऐन पहले आई दो दुखद खबर, विधायकों के बीच छाया शोक

Rajasthan Assembly first day Sad News : राजस्थान विधानसभा सत्र के पहले दिन की शुरुआत होने से ठीक पहले एक के बाद एक दो दुखद खबरें सामने आई। प
 

जयपुरSep 19, 2022 / 03:01 pm

Nakul Devarshi

Rajasthan MLA Lakhan Singh mother Rampyari demise news in hindi

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Rajasthan Assembly first day Sad News : राजस्थान विधानसभा सत्र के पहले दिन की शुरुआत होने से ठीक पहले एक के बाद एक दो दुखद खबरें सामने आई। पहली दुखद खबर करौली से कांग्रेस विधायक लाखन सिंह को मातृशोक होने की रही। विधायक की मां रामप्यारी मीणा लम्बे समय से बीमार चल रही थीं और उन्होंने बीती रात पैतृक गांव कटकड़ में अंतिम सांस ली। लाखन सिंह रामप्यारी के तीन पुत्रों में से एक हैं। ऐसे में वे अपने पीछे भरा-पूरा परिवार छोड़कर गईं हैं।

 

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इधर, विधायक को मातृ शोक पर विधानसभा स्पीकर डॉ सीपी जोशी और मुख्यमंत्री अशोक गहलोत सहित विभिन्न राजनीतिक दलों के नेताओं ने दुःख जताया है। सीएम गहलोत ने ट्वीट करते हुए अपने शोक संदेश में लिखा, ‘करौली से विधायक लाखन सिंह की माताजी के निधन पर मेरी गहरी संवेदनाएं। ईश्वर से प्रार्थना है शोकाकुल परिजनों को इस कठिन समय में सम्बल प्रदान करें एवं दिवंगत आत्मा को शांति प्रदान करें।’

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विधायक ने मां को दी मुखाग्नि
विधायक लाखन मीणा ने मां रामप्यारी को करौली के रतनज़िला कोटड़ा गांव में हुए अंतिम संस्कार में मुखाग्नि दी। इस दौरान बड़ी संख्या में क्षेत्र के लोग और जनप्रतिनिधि पहुंचे।

 

आचार्य धर्मेंद्र के निधन पर शोक

विश्व हिन्दू परिषद के केंद्रीय मार्गदर्शक मंडल में शामिल रहे 80 वर्षीय आचार्य धर्मेन्द्र के देवलोकगमन की खबर भी सत्र शुरू होने से ठीक पहले आई। लिहाज़ा सत्र के शुरू होने से पहले भाजपा विधायक दल की बैठक में उनके निधन पर शोक जताया गया। विधायकों ने दो मिनट का मौन रखकर उन्हें श्रद्धांजली दी।


गौरतलब है कि आचार्य धर्मेंद्र लंबी बीमारी के कारण जयपुर के सवाई मानसिंह अस्पताल में भर्ती थे, जहां अस्पताल के मेडिकल आईसीयू में वह उपचाराधीन थे। 1966 के गोरक्षा आन्दोलन में,श्री राम जन्मभूमि मुक्ति आन्दोलन में और कई जनजागरण यात्राओं में आचार्य का अहम योगदान रहा हैं। आचार्य धर्मेंद्र ने जयपुर के तीर्थ विराट नगर के पार्श्व पवित्र बाणगंगा के तट पर मैड गांव में अपना जीवन व्यतीत किया।गृहस्थ होते हुए भी उन्हें साधु संतों के समान आदर और सम्मान प्राप्त था।

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