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जयपुर

राजस्थान में इस बार जमकर झमाझम, बनेंगे बाढ़ के हालात

पिछले साल बाढ़ के हालात देख चुके पश्चिमी राजस्थान में इस मानसून भी जमकर झमाझम होगी।

जयपुरJun 01, 2020 / 01:36 pm

Vinod Chauhan

HEAVY RAIN IN RAJASTHAN

HEAVY RAIN IN RAJASTHAN:

विनोद सिंह चौहान
जयपुर। पिछले साल बाढ़ के हालात देख चुके पश्चिमी राजस्थान में इस मानसून भी जमकर झमाझम होगी। मौसम विज्ञान विभाग की मानें तो इस मानसून कुछ इलाके जलमग्न हो सकते हैं। अभी जो साइक्लोन बन रहा है वह यही संकेत दे रहा है कि मानसून 27 जून के असपास राजस्थान में प्रवेश करेगा। पिछले साल 2 जुलाई को राजस्थान में प्रवेश करने के बावजूद सामान्य से 41 प्रतिशत अधिक बरसात दर्ज की गई थी। राजधानी जयपुर के लिए अहम बीसलपुर बांध पर चादर चली थी और दो साल के लिए पेयजल का इंतजाम हो गया था।

खुशखबर लेकर आएगा मानसून
राजस्थान का मानसून इस बार भी खुशखबर लेकर आने वाला है। पिछले साल के मुकाबले अच्छी बरसात के संकेत मिल रहे हैं। मौसम वैज्ञानिकों का अनुमान है कि सामान्य से कई प्रतिशत अधिक बरसात दर्ज होगी। मानसूनी हवाओं का दबाव लगातार बढ़ रहा है, जिससे गर्मी का असर कम होगा, लेकिन उमस बढ़ सकती है। पिछले साल के मानसून की बात करें तो राजस्थान में सामान्य से 41 प्रतिशत ज्यादा बरसात दर्ज की गई थी।

वातावरण शुद्ध होने का असर नहीं
मौसम विभाग ने खुलासा किया है कि कोराेना के चलते पिछले ढाई माह से वाहनों का शोर थमा रहा और वातावरण शुद्ध भी हुआ और प्रदूषण के आंकड़ों में कमी दर्ज की गई। लेकिन इसका मानसून पर कोई असर नहीं पडे़गा। अभी भी जो बारिश या अंधड़ आ रहा है, वह पश्चिमी विक्षोभ का असर है ना कि वातावरण शुद्ध होने का।

50 साल पहले होता था चौमासा
मौसम विभाग की मानें तो 50 साल पहले ही चौमासा हुआ करता था। उस दौरान चार माह तक जमकर बारिश होती थी। लेकिन अब चौमासा लोगों की जुबान पर भी नहीं है। इसका सबसे बड़ा कारण है मानसून चक्र में लगातार बदलाव और देरी से आना। कई बार सूखा पड़ने का असर भी इस चक्र को बदलता रहा है।

बीसलपुर बांध पर चल सकती है चादर
मौसम विभाग की माने तो मानसून की झमाझम होगी और बीसलपुर बांध पर इस बार भी चादर चलेगी। ऐसे में सिंचाई विभाग को अभी से प्लानिंग करनी होगी कि चादर चलने के बाद बांध का पानी व्यर्थ ना बहे। इसे उन इलाकों में छोड़ा जाए तो खेती से जुड़े हुए हैं।

लागातार देरी से आ रहा है मानसून
मानसून में देरी का दौर बड़ा लम्बा है। बताया जा रहा है कि पिछले 50 साल से मानसून लेट होता आ रहा है। मौसम विज्ञान विभाग ने पिछले 50 साल के मानसून का आंकलन किया है तो पता चला कि यदि मानसूून देरी से आता है तो जाता भी देरी से है। हालाकि कई बार देरी से जाने के बावजूद कम बारिश दर्ज की गई।

जब मुख्यमंत्री ने ली थी बैठक
मौसम विभाग के अनसार पिछले साल जुलाई में बरसात नहीं होने के चलते मुख्यमंत्री ने 23 जुलाई को कई विभागों की बैठक ली थी। उस दौरान मौसम विभाग ने सरकार की चिंता मिटाते हुए अच्छी बरसात के संकेत दिए थे और अगले ही दिन प्रदेश में झमाझम का दौर शुरू हो गया था।

31 मई तक होता है प्री मानसून
यह खुलासा करना भी जरूरी है कि प्री मानसून की बारिश 31 मई तक ही होती है। मौसम विभाग के अनुसार एक मार्च से 31 मई के बीच ही प्री मानसून की बारिश होती है। लेकिन जब कभी जून के दौरान मानसून कमजोर रहता है और छुटपुट बारिश ही दर्ज होती है तो उसे भी प्री मानसून मान लिया जाता है, जबकि यह सही नहीं है।

मानसूून को लेकर बन रहे वर्तमान सिस्टम को देखते हुए कहा जा सकता है कि राजस्थान में मानसून 27 जून के आसपास आ सकता है। राजस्थान में जमकर बारिश होगी और पिछले साल की तरह ही कुछ जगहों पर बाढ़ के हालात भी बन सकते हैं।
-शिव गणेश, निदेशक, मौसम विज्ञान विभाग जयपुर

जल संसाधन विभाग की सूचना के अनुसार
फैक्ट फाइल मानसून बरसात मापन — राजस्थान
— पूरे राजस्थान में मानसून के दौरान औसत बरसात— 520.98 एमएम
— वर्ष 2019 में वास्तविक वरसात हुई — 747.24 एमएम
— जयपुर में मानसून के दौरान औसत बरसात — 502.10 एमएम
— 2019 में मानसून बरसात हुई— 688.92 एमएम

1990 से 2019 तक प्रदेश में वास्तविक बरसात
1990— 600
1991— 426.4
1992— 576.5
1993— 484.4
1994— 675.4
1995— 611.6
1996— 718.5
1997— 552.1
1998— 495.4
1999— 423.9
2000— 382.4
2001— 520.6
2002— 233.9
2003— 560.3
2004— 593.5
2005— 526.7
2006— 670.3
2008— 549.9
2009— 378.8
2010— 606.3
2011— 737.6
2012— 617.9
2013— 691.3
2014— 506.2
2015— 518.6
2016— 678.5
2017— 514.2
2018— 526.1
2019— 747.2
(बरसात एमएम में)

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