2400 से बढ़ाकर 3600 करने की मांग
पे ग्रेड बढ़ाने, सप्ताह में छुट्टी मिलने, काम के घंटे कम करने समेत साम सूत्रीय मांगों को लेकर अब गुपचुप प्रदर्शन शुरू हो रहा है। बताया जा रहा है कि रविवार से कई जिलों में मैस का बहिष्कार होना शुरू हो गया है। साथ ही पुलिसकर्मियों के ग्रुप्स में इस तरह के मैसेज भी चल रहे हैं। बताया जा रहा है कि दो दिन के दौरान हनुमानगढ़, भरतपुर, अजमेर समेत करीब पांच जिलों में अधिकतर पुलिसकर्मियों ने मैस के खाने का बहिष्कार किया है और विरोध की शुरुआत की है। हांलाकि इसे लेकर जिलों के पुलिस अधीक्षकों का कहना है कि ऐसा नहीं है काम सुचारू तौर पर ही चल रहा है। हांलाकि इस पूरे मामले पर पुलिस मुख्यालय की नजर बनी हुई है। सही कारण है कि पुलिस मुख्यालय ने पिछले सप्ताह ही रेंज आईजी और पुलिस अधीक्षकों के लिए सर्कुलर जारी कर लिखा था कि पुलिसकर्मी मैस का बहिष्कार एवं अन्य गतिविधी में शामिल हो सकते हैं। ऐसे में कानून व्यवस्था का बंदोबस्त नहीं बिगडे।
पे ग्रेड बढ़ाने, सप्ताह में छुट्टी मिलने, काम के घंटे कम करने समेत साम सूत्रीय मांगों को लेकर अब गुपचुप प्रदर्शन शुरू हो रहा है। बताया जा रहा है कि रविवार से कई जिलों में मैस का बहिष्कार होना शुरू हो गया है। साथ ही पुलिसकर्मियों के ग्रुप्स में इस तरह के मैसेज भी चल रहे हैं। बताया जा रहा है कि दो दिन के दौरान हनुमानगढ़, भरतपुर, अजमेर समेत करीब पांच जिलों में अधिकतर पुलिसकर्मियों ने मैस के खाने का बहिष्कार किया है और विरोध की शुरुआत की है। हांलाकि इसे लेकर जिलों के पुलिस अधीक्षकों का कहना है कि ऐसा नहीं है काम सुचारू तौर पर ही चल रहा है। हांलाकि इस पूरे मामले पर पुलिस मुख्यालय की नजर बनी हुई है। सही कारण है कि पुलिस मुख्यालय ने पिछले सप्ताह ही रेंज आईजी और पुलिस अधीक्षकों के लिए सर्कुलर जारी कर लिखा था कि पुलिसकर्मी मैस का बहिष्कार एवं अन्य गतिविधी में शामिल हो सकते हैं। ऐसे में कानून व्यवस्था का बंदोबस्त नहीं बिगडे।
पहले भी किया था विरोध, अफसरों ने की थी सख्त विभागीय कार्रवाई
साल 2017 में सरकार की कुछ नीतियों के कारण प्रदेश भर में पुलिसकर्मियों ने मैस का बहिष्कार किया था खासतौर पर कांस्टेबलों ने। दरअसल उस समय सर्कुलर जारी किया गया था कि वेतन बढ़ोतरी रोकी जाएगी और अन्य काम भी दिए जाएंगे। इसे लेकर बाद में अपनी ग्यारह सूत्रीय मांग पत्र कांस्टेबलों ने अफसरों और सरकार के सामने रखा था। कई दिनों तक मैस में खाना नहीं खाया था। कुछ पुलिसर्मियों ने प्रदर्शन को उग्र करने की भी कोशिश की थी लेकिन बाद में अफसरों ने इसे दबा दिया था। कई पुलिसकर्मियों के खिलाफ सख्त विभागीय कार्रवाई भी की गई थी। इसी तरह साल 2006 में भी पुलिसकर्मियों ने अपनी कई मांगों को लेकर विरोध किया था लेकिन इसे भी दबा लिया गया था।
साल 2017 में सरकार की कुछ नीतियों के कारण प्रदेश भर में पुलिसकर्मियों ने मैस का बहिष्कार किया था खासतौर पर कांस्टेबलों ने। दरअसल उस समय सर्कुलर जारी किया गया था कि वेतन बढ़ोतरी रोकी जाएगी और अन्य काम भी दिए जाएंगे। इसे लेकर बाद में अपनी ग्यारह सूत्रीय मांग पत्र कांस्टेबलों ने अफसरों और सरकार के सामने रखा था। कई दिनों तक मैस में खाना नहीं खाया था। कुछ पुलिसर्मियों ने प्रदर्शन को उग्र करने की भी कोशिश की थी लेकिन बाद में अफसरों ने इसे दबा दिया था। कई पुलिसकर्मियों के खिलाफ सख्त विभागीय कार्रवाई भी की गई थी। इसी तरह साल 2006 में भी पुलिसकर्मियों ने अपनी कई मांगों को लेकर विरोध किया था लेकिन इसे भी दबा लिया गया था।
प्रशासन की रीढ़ हैं कांस्टेबल, इतने काम करते हैं
प्रदेश में वर्तमान में करीब एक लाख बीस हजार पुलिसकर्मियों के पद स्वीकृत हैं। इनमें से करीब एक लाख पदों पर पुलिसकर्मी काम कर रहे हैं। सबसे ज्यादा करीब साठ हजार संख्या कांस्टेबलों की है। कानून बंदोबस्त और अन्य काम करने वाले ये कांस्टेबल पुलिस प्रशासन की रीढ़ हैं। इनसे उपर के अधिकारी अधिकतर समय केसेज और अन्य विभागीय कामों में व्यस्त रहते हैं। ऐसे में कानून बंदोबस्त का जिम्मा इन पर ही आता है। अगर मांगों को लेकर विरोध प्रदर्शन उग्र होता है तो प्रदेश में कानून बंदोबस्त बिगड़ने के आसार बन सकते हैं।
प्रदेश में वर्तमान में करीब एक लाख बीस हजार पुलिसकर्मियों के पद स्वीकृत हैं। इनमें से करीब एक लाख पदों पर पुलिसकर्मी काम कर रहे हैं। सबसे ज्यादा करीब साठ हजार संख्या कांस्टेबलों की है। कानून बंदोबस्त और अन्य काम करने वाले ये कांस्टेबल पुलिस प्रशासन की रीढ़ हैं। इनसे उपर के अधिकारी अधिकतर समय केसेज और अन्य विभागीय कामों में व्यस्त रहते हैं। ऐसे में कानून बंदोबस्त का जिम्मा इन पर ही आता है। अगर मांगों को लेकर विरोध प्रदर्शन उग्र होता है तो प्रदेश में कानून बंदोबस्त बिगड़ने के आसार बन सकते हैं।