पुलिस मुख्यालय में बैठे अफसरों के खिलाफ अपने ही विभाग के अफसरों ने मोर्चा खोल रखा है। आईपीएस पंकज चौधरी और आईपीएस इंदु भूषण दोनों ने ही ये मोर्चा खोला है। भूषण का तो यहां तक कहना है कि पुलिस कमिश्नरेट और पुलिस मुख्यालय में बैठने वाले आईपीएस अफसरों ने गलत तरीके से बड़ी सम्पत्ति बटोरी है, मोटा धन कमाया है और अर्दलियों को गलत तरीके से काम में ले रहे हैं। भूषण के पत्र के जवाब में तो डीजीपी तक ने कहा कि अगर उनके पास कोई सबूत हो तो वह पेश करें। डीजीपी ने इंदु भूषण पर कार्रवाई के लिए होम डिपार्टमेंट को भी पत्र लिखा कि उनको निलंबित करें, लेकिन फाइल को फिलहाल रोक लिया गया है। आईपीएस देवाशीष की मौत के मामले में पुलिस मुख्यालय के अफसरों की पहले ही किरकिरी हो चुकी है।
पहले पुलिसकर्मी शिकायत होने पर अफसरों खिलाफ गुमनाम पत्र भेज सकते थे। इन पत्रों को पुलिस मुख्यालय के साथ ही सरकार को भी भेजा जा सकता था। इन पत्रों पर कार्रवाई भी होती थी और दोषी पुलिस अफसरों पर गाज भी गिरती थी, लेकिन अब ऐसे पत्रों को अमान्य कर दिया गया है। पुलिस अफसरों के लिए जो पांच पेज का पत्र तैयार किया गया है। इसमें साफ उल्लेख है कि अब किसी भी पुलिस अफसर के खिलाफ शिकायत की जाएगी तो शिकायतकर्ता पुलिसकर्मी को अपना नाम भी लिखना होगा। गौरतलब है कि यही एक नियम आधी से ज्यादा शिकायतों को खारिज कर देता है। पुलिसकर्मियों का कहना है कि शायद ही कोई पुलिसकर्मी हो जो अपनी नौकरी एक शिकायत के लिए दांव पर लगाए। कारण जिस अफसर के खिलाफ शिकायत की जानी है आखिर नौकरी तो उनके अंडर में ही करनी होगी।
डीजीपी अजीत सिंह ने जारी सर्कुलर में खरा-खरा लिखा है कि कोई भी पुलिसकर्मी अपने अफसर पर अगर बिना ठोस सबूत शिकायत करता है तो उस पर सीसीए नियमों के अनुसार कार्रवाई होगी। सजा के प्रावधान के साथ ही वेतनवृद्धि पर भी रोक संभव है। साथ ही नौकरी पर भी संकट आ सकता है। पुलिसकर्मियों के खिलाफ तुरंत कार्रवाई की जाएगी और जरूरी नहीं हुआ तो उनको सफाई का मौका तक नहीं दिया जाएगा। ठोस सबूतों के साथ शिकायत दी जाती है तो भी इसे पूरी तरह से गोपनीय रखा जाएगा। सिपाही इसे किसी और को बताता है तो उस सिपाही पर भी कार्रवाई की जाएगी।