जयपुर

सत्ता संग्राम: कहीं ये सुलह की सुगबुगाहट तो नहीं, पढ़ें विशेष रिपोर्ट

राजद्रोह की जांच न्यायालय की ओर से एनआइए को सौंपे जाने की आशंका के चलते राज्य सरकार ने विधायक व मंत्री के खिलाफ दर्ज मामला भले ही वापस लिया हो, लेकिन राजनीतिक गलियारों में इसे मुख्यमंत्री अशोक गहलोत व पूर्व उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट की सुलह के लिए रास्ते खोले जाने को लेकर भी देखा जा रहा है।

जयपुरAug 06, 2020 / 03:47 pm

Kamlesh Sharma

राजद्रोह की जांच न्यायालय की ओर से एनआइए को सौंपे जाने की आशंका के चलते राज्य सरकार ने विधायक व मंत्री के खिलाफ दर्ज मामला भले ही वापस लिया हो, लेकिन राजनीतिक गलियारों में इसे मुख्यमंत्री अशोक गहलोत व पूर्व उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट की सुलह के लिए रास्ते खोले जाने को लेकर भी देखा […]

जयपुर। राजद्रोह की जांच न्यायालय की ओर से एनआइए को सौंपे जाने की आशंका के चलते राज्य सरकार ने विधायक व मंत्री के खिलाफ दर्ज मामला भले ही वापस लिया हो, लेकिन राजनीतिक गलियारों में इसे मुख्यमंत्री अशोक गहलोत व पूर्व उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट की सुलह के लिए रास्ते खोले जाने को लेकर भी देखा जा रहा है।
वजह है कि पायलट ने सरकार की खिलाफत के दौरान कहा था कि उनके खिलाफ राजद्रोह का मामला दर्ज कराकर फंसाने की कोशिश की है। इसको लेकर काफी नाराजगी भी जाहिर की थी। हालांकि एसीबी की जांच की तलवार अभी विधायक व पूर्व मंत्रियों पर लटकी हुई है। शुरुआत में कयास लगाए जा रहे थे कि पायलट ने शायद भाजपा का दामन थामने के लिए बगावत की है। लेकिन बाद में पायलट व उनके साथियों ने साफ कर दिया कि वे कांग्रेसी हैं और कांग्रेस में ही रहेंगे।
सिर्फ मुख्यमंत्री गहलोत की कार्यशैली से नाराज हैं। इसीलिए अपना विरोध दर्ज कराने के लिए यह रास्ता अख्तियार करना पड़ा। इसके बाद से लगातार कांग्रेस नेता कहते आ रहे हैं कि सचिन पायलट के लिए कांग्रेस में रास्ते खुले हैं। लेकिन उन्हें हरियाणा की भाजपा सरकार की मेहमाननवाजी छोडऩी होगी। कांग्रेस नेताओं के पायलट को वापस आने को लिए दिए जा रहे बयान और पायलट के कांग्रेस में ही रहने के बयानों के बीच अब राजद्रोह का मामला वापस लेने को इसी रूप में देखा जा रहा है कि दोनों खेमों के बीच बर्फ पिघल रही है।
गजेंद्र सिंह को राहत के मायने क्या?
कथित ऑडियो के आधार पर केन्द्रीय मंत्री गजेन्द्र सिंह के खिलाफ भी एसीबी व एसओजी में मामले दर्ज कर राजद्रोह की धारा लगाई गई थी। हालांकि एफआइआर में गजेन्द्र सिंह लिखा गया था। मंत्री व शेखावत का जिक्र नहीं था, फिर भी मंत्री गजेन्द्र सिंह को भी नोटिस जारी कर बयान दर्ज कराने को लेकर कहा गया था। अब राजद्रोह का मामला वापस लेने के बाद उन्हें भी किसी न किसी रूप में राहत मिली है। भाजपा खेमे में उनका भावी मुख्यमंत्री के दावेदार के रूप में नाम आ रहा है। चर्चा है कि राजनीति में अंदर खाने कुछ गठजोड़ चल रहा है।
ईडी का दबाव कम करने की भी कोशिश
कांग्रेस में बगावत और भाजपा के सक्रिय होने के बीच भाजपा-कांग्रेस की ओर से धड़ाधड़ पुलिस, एसओजी, ईडी और आयकर विभाग की ओर से कार्रवाई की गई। जब गजेन्द्र का नाम एफआइआर में आया तो ईडी ने मुख्यमंत्री गहलोत के बड़े भाई अग्रसेन के खिलाफ कार्रवाई की। अग्रसेन को दो नोटिस जारी किए जा चुके हैं, लेकिन वे नहीं जा रहे हैं। गजेंद्र से राजद्रोह की धारा हटाए जाने को भी इससे जोड़कर देखा जा रहा है। संभवत: ईडी से अग्रसेन को भी राहत की उम्मीद है।
मुख्यमंत्री के करीबियों पर आयकर कार्रवाई
सियासी संग्राम के बीच आयकर विभाग मुख्यमंत्री के करीबियों पर भी कार्रवाई कर चुका है। शुरुआती दौर में पूछताछ व अन्य कार्रवाई में तेजी देखी गई, लेकिन कुछ दिनों से मामला ठंडे बस्ते में नजर आ रहा है। उधर, छापे की कार्रवाई के बाद मुख्यमंत्री के करीबी धर्मेन्द्र राठौड़ एक बार फिर व्यवस्थाएं संभालने में जुट गए हैं। वे जैसलमेर विधायकों के ठहरने को लेकर भी काम संभाल रहे हैं।

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