एकलपीठ में सचिन पायलट गुट की ओर से यह भी दलील दी गई कि कांग्रेस एमएमएल दल की दो बैठकों में न रहने से दलबदलू कानून लागू नहीं हो जाता है। किसी भी व्यक्ति के बोलने की स्वतंत्रता को बाधित नहीं किया जा सकता है। इसी वजह से 10 वीं अनुसूची के मुताबिक, दलबदल विरोधी कानू लगाया जा सकता है अगर सदस्य स्वैच्छिक तौर पर पार्टी को छोड़ देता है या फिर विधानसभा में पार्टी के आदेश के विपरीत वोट करता है। साल्वे ने अनुसूची दस के 2 ए 1 की संवैधानिकता को चुनौती दी है ऐसे में अब मुख्य न्यायाधीश की खंडपीठ शुक्रवार को सुनवाई करेगी। अदालत में सचिन पायलेट ग्रुप की ओर से हरिश साल्वे और मुकुल रोहतगी और विधानसभा अध्यक्ष की ओर से अभिषेक मनु सिंघवी ने वीसी से पक्ष रखा।
इन्होने दी है स्पीकर की कार्रवाई को चुनौती
हाईकोर्ट में स्पीकर के अयोग्यता के नोटिस को पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट सहित एमएलए पीआर मीणा, वेद प्रकाश सोलंकी, सुरेश मोदी, विश्वेन्द्र सिंह, दीपेन्द्र सिंह, भंवरलाल शर्मा, जी खटाना, इन्द्रराज, गजेन्द्र सिंह शेखावत, हेमाराम चौधरी, रामनिवास गावरिया, अमर सिंह, ब्रजेन्द्र सिंह ओला, मुरारी लाल मीना, मुकेश कुमार भाकर, राकेश पारख, हरीश मीना, रमेश चन्द मीना शामिल हैं। याचिका में विधानसभा स्पीकर व सचिव सहित सीपी जोशी को पक्षकार बनाया है।
हाईकोर्ट में स्पीकर के अयोग्यता के नोटिस को पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट सहित एमएलए पीआर मीणा, वेद प्रकाश सोलंकी, सुरेश मोदी, विश्वेन्द्र सिंह, दीपेन्द्र सिंह, भंवरलाल शर्मा, जी खटाना, इन्द्रराज, गजेन्द्र सिंह शेखावत, हेमाराम चौधरी, रामनिवास गावरिया, अमर सिंह, ब्रजेन्द्र सिंह ओला, मुरारी लाल मीना, मुकेश कुमार भाकर, राकेश पारख, हरीश मीना, रमेश चन्द मीना शामिल हैं। याचिका में विधानसभा स्पीकर व सचिव सहित सीपी जोशी को पक्षकार बनाया है।