जेडीए के पास शांत क्षेत्र, पर सर्वाधिक शोर प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने वैसे तो दुर्लभजी-जेडीए क्षेत्र को शांत घोषित किया हुआ है लेकिन यहीं सर्वाधिक शोर दर्ज हुआ। मॉनिटरिंग के 4 माह के दौरान अक्टूबर 2017 में यहां दिन में औसतन 82.3 और रात में 79.6 डेसिबल की ध्वनि रिकॉर्ड की गई। दिसंबर 2017 में छोटी चौपड़ पर सर्वाधिक शोर रिकॉर्ड किया। यहां दिन में 79.6 व रात में 73.7 डेसिबल ध्वनि रिकॉर्ड हुई।
नियमों की पालना नहीं सूत्रों ने बताया कि रात 10 से सुबह 6 बजे तक खुली जगह में किसी भी तरह का ध्वनि प्रदूषण प्रतिबंधित है। इसके तहत डीजे, लाउड स्पीकर, बैंडबाजा, वाहनों के हॉर्न, आयोजन के नाम पर वाद्ययंत्र के इस्तेमाल या संगीत बजाकर ध्वनि प्रदूषण फैलाने पर पूरी तरह प्रतिबंध है। जबकि हकीकत में जयपुर शहर में लगभग सभी इलाकों में धार्मिक, वैवाहिक, सामाजिक, राजनीतिक समेत कई अन्य कार्यक्रमों में लाउड स्पीकरों का बेधड़क उपयोग किया जा रहा है। इस ओर प्रशासन और पुलिस का
ध्यान नहीं है।
ये बढ़ सकती हैं बीमारियां ध्वनि प्रदूषण बढऩे से बहरापन, याददाश्त एवं एकाग्रता में कमी, चिडचिड़ापन, अवसाद जैसे रोगों सहित नपुंसकता, कैंसर जैसी जानलेवा बीमारियों की चपेट में आने की आंशका।
यूं सामने आई चिन्ताजनक स्थिति
प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने सितंबर से दिसंबर 2017 तक 6 स्थानों पर ध्वनि स्तर की 24 घंटे मॉनिटरिंग की। मॉनिटर वाले क्षेत्रों में मानसरोवर, सिविल लाइंस, शास्त्रीनगर, छोटी चौपड़, जेडीए आदि क्षेत्र शामिल हैं। इस दौरान शहर में वाणिज्यिक ही नहीं बल्कि आवासीय और शांत जोन में भी ध्वनि का स्तर तय मानक से कहीं अधिक मिला। चिन्ताजनक यह भी है कि स्थिति रात 10 बजे बाद भी सुधरती नहीं दिखी।
यह होना चाहिए उपाय- तेज शोर पैदा करने वाली फैक्ट्रियों को आबादी से दूर लगाई जाए
तेज आवाज वाले प्रेशर हॉर्न पर घनी आबादी क्षेत्रों में सती से प्रतिबंधित
ध्वनि स्तर जांचने के लिए उपकरणों का उपयोग किया जाए
टीवी, डीजे, यूजिक सिस्टम तेज आवाज में नहीं बजाए जाए
रात 10 से सुबह 6 बजे तक लाउडस्पीकर उपयोग पर स ती से प्रतिबंध लगे
अधिकतम स्थानों पर ध्वनि स्तर मॉनीटरिंग शुरू की जाए