वही भाजपा के पास खोने को कुछ नहीं है। वो एक सीट तो जीत ही रही हैं, वहीं दूसरी सीट पर अपना दाव खेल रही है। भाजपा को कांग्रेस के असंतुष्ट विधायकों से उम्मीद है, यही वजह है कि भाजपा नेता बेफिक्र नजर आ रहे हैं।
दरअसल, भाजपा प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया और वरिष्ठ नेता राजेन्द्र राठौड़ कुछ दिन पहले दिल्ली जाकर नेताओं से मंत्रणा करके आए हैं। लेकिन इसके लिए 26 वोट जरूरी है और ये उनके लिए मुश्किल है।
ये बन रहा है ‘गणित’
कांग्रेस पार्टी के पास पार्टी विधायकों के साथ ही आरएलडी के डॉ. सुभाष गर्ग, दो बीटीपी, दो कम्यूनिस्ट और सभी 13 निर्दलीय विधायकों का समर्थन है। ऐसे में उनके पास 124 की संख्या में विधायक हैं। वहीं भाजपा के खुद के 72, आरएलपी के 3 विधायक हैं।
निर्दलीय विधायक ओमप्रकाश हुड़ला भी भाजपा के साथ जा सकते हैं। ऐसे में उनके पास कुल विधायकों की संख्या 76 बैठती है। सरकारी उप मुख्य सचेतक महेंद्र चौधरी ने कहा कि कांग्रेस के सारे विधायक एकजुट हैं। कांग्रेस पार्टी ने इसके लिए विधायकों को मॉक पोलिंग भी कराई है।
कांग्रेस नेता मुख्य सचेतक महेश जोशी ने कहा कि लोकतंत्र में हर एक वोट की अहमियत होती है और जब वोट राज्यसभा सांसद के लिए पड़े तो यह और भी महत्वपूर्ण हो जाता है इसलिए मॉक पोलिंग कराई जाएगी। मॉक पोलिंग इसलिए भी खास है, क्योंकि यहां पर कांग्रेस पार्टी में इस बार 50 से ज्यादा से विधायक ऐसे हैं जो पहली बार चुनाव जीतकर आए हैं। वहीं कुछ नए विधायक ऐसे भी हैं जो सरकार को समर्थन दे रहे हैं। उन सभी विधायकों को मॉक पोल की ट्रेनिंग के जरिए सिखाया जाएगा कि राज्यसभा चुनाव में मतदान की प्रक्रिया किस प्रकार से होती है और वोट डालते समय क्या-क्या सावधानियां बरती जाए।
वैसे भाजपा उम्मीदवार ओंकार लखावत के मैदान में डटे रहने से राज्यसभा चुनाव रोचक हो गया है। भाजपा के पास अमित शाह जैसे रणनीतिकार हैं तो कांग्रेस के पास मुख्यमंत्री अशोक गहलोत जैसा राजनीतिज्ञ। गहलोत 2017 में गुजरात राज्यसभा चुनाव में अपने कौशल का परिचय देकर अहमद पटेल को जिता चुके हैं।