जयपुर

पशु चिकित्सक भर्ती-2019 पर आया नया अपडेट, प्रभावित पक्षकारों का हाईकोर्ट पहले सुनेगा पक्ष

Veterinary Officer Recruitment 2019 New Update : पशु चिकित्सक भर्ती-2019 पर आया नया अपडेट। राजस्थान हाईकोर्ट की जयपुर बेंच ने अपात्र अभ्यर्थियों के चयन को लेकर दायर याचिका पर पहली बार प्रभावित पक्षकारों का पक्ष सुनने का इरादा जाहिर किया है।

जयपुरMar 28, 2024 / 12:16 pm

Sanjay Kumar Srivastava

Rajasthan High Court Jaipur Bench

पशु चिकित्सक भर्ती-2019 पर आया नया अपडेट। राजस्थान हाईकोर्ट की जयपुर बेंच ने पशु चिकित्सक भर्ती-2019 में अपात्र अभ्यर्थियों के चयन को लेकर दायर याचिका पर पहली बार प्रभावित पक्षकारों का पक्ष सुनने का इरादा जाहिर किया है, ताकि इन पक्षकारों को बाद में कोर्ट का दरवाजा नहीं खटखटाना पड़े। न्यायाधीश समीर जैन ने राजवीर सिंह की याचिका पर सुनवाई के दौरान यह पहल की। हाईकोर्ट इस मामले में कार्मिक सचिव, प्रमुख पशुपालन सचिव और राजस्थान लोकसेवा आयोग (आरपीएससी) के सचिव से पहले ही जवाब मांग चुका है। कोर्ट ने अब आरपीएससी से कहा कि वह प्रभावित अभ्यर्थियों की याचिकाकर्ता को जानकारी दे, ताकि उनको व्यक्तिश: नोटिस तामील कराए जा सके। याचिका में अब तक चली आ रही परंपरा के अनुसार प्रभावित पक्षकारों को आरपीएससी के जरिए पक्षकार बनाया गया था।



प्रार्थीपक्ष की ओर से अधिवक्ता तनवीर अहमद ने हाईकोर्ट को बताया कि पशु चिकित्सा (वेटनरी) अधिकारियों के 900 पदों के लिए आरपीएससी ने वर्ष 2019 में भर्ती निकाली, जिसमें पशुचिकित्सा विज्ञान पाठ्यक्रम के अंतिम वर्ष में शामिल अभ्यर्थियों को भी पात्र माना। नियमानुसार यह छूट अंतिम वर्ष की परीक्षा में शामिल होने वाले अभ्यर्थियों के लिए ही है। आरपीएससी की गलती के कारण अंतिम वर्ष की पढ़ाई करने वालों का भी साक्षात्कार के लिए चयन हो गया और पात्र अभ्यर्थी चयन से वंचित रह गए। प्रार्थीपक्ष ने कहा कि अन्य कई भर्तियों में आरपीएससी ने स्पष्ट रूप से लिखा है निर्धारित पाठ्यक्रम के अंतिम वर्ष की परीक्षा में शामिल होने वाले ही चयन के पात्र हैं।

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अब तक चली आ रही परंपरा के अंतर्गत नोटिस तो प्रभावित पक्षकारों के नाम जारी होता है, लेकिन अक्सर आरपीएससी से इन पक्षकारों तक नोटिस पहुंचते ही नहीं थे और अदालती आदेश के अनुसार आरपीएससी के कार्रवाई करने पर ये कोर्ट पहुंचते थे। कोर्ट इनको सेवा से हटाने के मामले में सहानुभूति के आधार पर ऐसे पक्षकारों को राहत देता रहा है।

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