उन्होंने बताया कि केंद्रीय संगठन ने इस बार पार्टी के नेताओं के पारिवारिक सदस्य को टिकट नहीं देने का नीतिगत फैसला लिया है। राजस्थान में ही नहीं बल्कि देश के अन्य राज्यों में जहां भी उपचुनाव हो रहे हैं वहां परिवारवाद या वंशवाद को दरकिनार किया गया है।
बगावत करने वाले नेताओं पर कार्रवाई के सवाल पर डॉ पूनिया ने कहा कि अभी फिलहाल मामला गरम है। टिकट नहीं मिलने पर नेता भावनात्मकता की वजह से विरोध करते हैं और बगावत का कदम उठाते हैं। ऐसे नेताओं से बातचीत कर उन्हें नामांकन वापस लेने को लेकर मनाया जाएगा। पूनिया ने कहा कि भाजपा कार्यकर्ता अनुशासित है। साथ ही उन्होंने उम्मीद जताई कि पार्टी के वरिष्ठ नेता इस नाराज़गी को सक्षम तरीके से सुलझाने में कामयाब होंगे।
संकट कड़ी करेंगे कन्हैया और भींडर !
टिकट चयन के बाद से भाजपा को बगावत का डर सत्ता रहा है। दोनों सीटों पर प्रत्याशियों के नामों की घोषणा के बाद से विरोध के स्वर मुखर होने शुरू हो गए हैं। धरियावद में जहां स्व. गौतम लाल मीणा के पुत्र कन्हैया लाल मीणा और उनके समर्थक टिकट नहीं मिलने से नाराज़ है तो वहीं वल्लभनगर में जनता सेना प्रमुख व भाजपा के पूर्व विधायक रणधीर सिंह भींडर मुश्किलें खड़ी कर रहे हैं। धरियावद से कन्हैया ने बतौर निर्दलीय जबकि वल्लभनगर से भींडर और उनकी पत्नी ने अपने-अपने नामांकन भर दिए हैं।
फिलहाल पार्टी को इंतज़ार है कि नामांकन वापसी के दिन तक कन्हैया और भींडर अपने नामांकन वापस ले लें ताकि पार्टी प्रत्याशी की जीत की राह आसान हो सके।