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जयपुर

सरहदों में फंसा राजस्थान के हक का ‘पानी’

केन्द्रीय जल शक्ति मंत्री भी राजस्थान से… अब तो मिलना चाहिए हिस्सा, हरियाणा, पंजाब, मध्यप्रदेश के साथ खत्म नहीं हो रहा जल विवाद, विवाद सुलझे तो राज्य को मिले 4800 मिलीयन क्यूबिक मीटर पानी

जयपुरNov 26, 2021 / 06:14 pm

Amit Vajpayee

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सरहदों में फंसा राजस्थान के हक का ‘पानी’

अमित वाजपेयी / जयपुर। केन्द्रीय जल आयोग की धीमी चाल के कारण राजस्थान के हक पर पड़ोसी राज्य पानी फेर रहे हैं। इसमें पंजाब, हरियाणा, मध्यप्रदेश शामिल हैं। ये राज्य जल बंटवारा समझौते की धज्जियां उड़ा रहे हैं।
नतीजतन तीन दशक से राजस्थान अपने ही हक के पानी के लिए जूझ रहा है। आपसी विवाद को सुलझाने के लिए केन्द्रीय जल आयोग की मध्यस्थता में बैठकों पर बैठक हुईं। हालांकि राजनीतिक हस्तक्षेप के कारण नतीजा सिफर रहा।

राजस्थान सरकार जल आयोग से लेकर प्रधानमंत्री तक से विवाद सुलझाने की गुहार लगा चुकी है। विवाद नहीं सुलझने से बारिश में कई क्यूसेक पानी समुद्र में बह जाता है। ऐसे पानी को रोककर राजस्थान की प्यास बुझाने के लिए 68 हजार करोड़ से ज्यादा के प्रोजेक्ट्स बनाए गए हैं लेकिन यह सभी अधरझूल में हैं। ये सुलझें तो 4800 मिलीयन क्यूबिक मी. से ज्यादा पानी राजस्थान को उपलब्ध हो।

सीएम गहलोत ने पीएम व मंत्री को लिखे खत
प्रधानमंत्री यमुना के पानी की जरूरत और विवाद की स्थिति बताई। सीधे तौर पर राज्य की जरूरत पर फोकस किया।

जलशक्ति मंत्री विस्तार से हर तकनीकी पहलू की जानकारी दी। जल आयोग के स्तर पर अब तक हुए प्रयास भी बताए।
जवाब तो चाहिए
– केन्द्रीय जल आयोग में तथ्यात्मक पहलुओं के साथ कई बार हाजिरी लगाई। फिर भी जल बंटवारा विवाद सुलझाने में नाकाम। फिर समझौते के मायने क्या रह गए।

– मौजूदा मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने दिल्ली की दूरी नापी। फिर भी केन्द्र और पड़ोसी राज्यों ने संज्ञान क्यों नहीं लिया।
– केन्द्रीय जलशक्ति मंत्री गजेन्द्र सिंह शेखावत राजस्थान से हैं। फिर भी विवादों का साया क्यों बना हुआ है।

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