राजस्थान सरकार जल आयोग से लेकर प्रधानमंत्री तक से विवाद सुलझाने की गुहार लगा चुकी है। विवाद नहीं सुलझने से बारिश में कई क्यूसेक पानी समुद्र में बह जाता है। ऐसे पानी को रोककर राजस्थान की प्यास बुझाने के लिए 68 हजार करोड़ से ज्यादा के प्रोजेक्ट्स बनाए गए हैं लेकिन यह सभी अधरझूल में हैं। ये सुलझें तो 4800 मिलीयन क्यूबिक मी. से ज्यादा पानी राजस्थान को उपलब्ध हो।
सीएम गहलोत ने पीएम व मंत्री को लिखे खत
प्रधानमंत्री यमुना के पानी की जरूरत और विवाद की स्थिति बताई। सीधे तौर पर राज्य की जरूरत पर फोकस किया। जलशक्ति मंत्री विस्तार से हर तकनीकी पहलू की जानकारी दी। जल आयोग के स्तर पर अब तक हुए प्रयास भी बताए।
– केन्द्रीय जल आयोग में तथ्यात्मक पहलुओं के साथ कई बार हाजिरी लगाई। फिर भी जल बंटवारा विवाद सुलझाने में नाकाम। फिर समझौते के मायने क्या रह गए। – मौजूदा मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने दिल्ली की दूरी नापी। फिर भी केन्द्र और पड़ोसी राज्यों ने संज्ञान क्यों नहीं लिया।