मौसम वैज्ञानिकों की मानें तो मानसून की टर्फलाइन प्रदेश के अजमेर और फलोदी जिलों से होकर विदिशा होते हुए पूर्वी मध्य प्रदेश तक पहुंच रही है। वहीं मध्य प्रदेश के पूर्वी इलाकों में कम वायुदाब क्षेत्र भी बना हुआ है।
दूसरी तरफ पाकिस्तान के उत्तर पूर्वी इलाकों में बने चक्रवाती तंत्र के असर से प्रदेश में विंड पैटर्न में हुए बदलाव के साथ ही पूर्वी राज्यों में डटे मानसूनी बादलों ने अब प्रदेश का रुख कर लिया है और माना जा रहा है कि अगले तीन दिन प्रदेश में झमाझम बारिश का दौर चलने वाला है।
बीते चौबीस घंटे में बारिश का दौर कुछ धीमा हुआ, लेकिन फिर भी बादलों की आवाजाही बने रहने और कुछ इलाकों में मध्यम व हल्की बारिश हुई। राजधानी जयपुर में बादल छाए जरूर लेकिन, बिन बरसे ही शहर से दूरी बना गए।
प्रदेश के दक्षिणांचल में स्थित वागड़ के डूंगरपुर जिले में मानसून सक्रिय हो गया है। गुरुवार शाम से शुरू हुआ रिमझिम तो कभी तेज वर्षा का दौर शनिवार दोपहर बाद तक रुक-रूक कर जारी है। माही बांध का जलस्तर 280.50 मीटर पहुंच गया है। बांध की कुल भराव क्षमता 281.50 मीटर है। एेसे में बांध के गेट खोलने की संभावना बनी हुई है।
वागड़ का प्रमुख आस्था स्थल बेणेश्वर धाम इस मानसून में दूसरी बार टापू में तब्दील हो गया है और धाम पर फिलहाल 20 लोग फंसे हुए। धाम को जोडऩे वाले तीनों पुलों पर तीन से पांच फीट पानी की चादर चल रही है। हालांकि, सभी लोग सुरक्षित है। इधर, बाढ़ नियंत्रण कक्ष के अनुसार शनिवार सुबह आठ बजे समाप्त हुए गत 24 घंटों में सर्वाधिक वर्षा आसपुर में 100, देवल में 99, सोमकमला आम्बा में 89, डूंगरपुर में 8 0, गणेशपुर में 74 एवं निठाउवा में 72 मिमी वर्षा दर्ज की है।