मासूम बच्चे भी कर रहे फर्ज अदा, रख रहे रोजा, कर रहे नियमों का पालन
जयपुर.एक ओर जहां तेज गर्मी में भूख-प्यास बड़े-बड़े तक सहन नहीं कर पाते, वहीं दूसरी ओर रमजान में नौनिहाल भी रोजे रख रहे हैं। खेलने-कूदने की उम्र में ये बच्चे रोजा रखने के साथ ही इससे जुड़े सभी नियमों का पालन भी कर रहे हैं। कई परिवारों में नौनिहालों ने जिद कर रोजा रखा हुआ है। इन्हें जहां रोजेदारों की दुआ मिल रही है, वहीं समाजबंधु माला पहनाकर उनका इस्तकबाल भी कर रहे हैं।
कुरान शरीफ पढ़कर बिताते हैं दिन इस्लामी नजरिए से 12 साल के बच्चों पर रोजा फर्ज है, लेकिन शहर में इससे कम उम्र के बच्चे भी न केवल रोजा रख रहे हैं, बल्कि वे खास तौर से गलत बात व झूठ बोलने सहित अन्य बातों से परहेज कर रहे हैं, ताकि उनका रोजा खराब न हो। ये बच्चे जल्दी उठकर दिनभर कुरान शरीफ पढऩे के साथ खुदा की इबादत में अपना समय व्यतीत कर रहे हैं। साथ ही परिवारजनों से कई सवाल जवाब भी करते हैं।
अल्लाह की रहमत दिल्ली बायपास रोड निवासी शहजान जैदी ने बताया कि एक बार मन में विश्वास हो तो थोड़ा कठिनाई से सब चीजें आसान लगती है। अल्लाह की रहमत से दिनभर स्फूर्ति का संचार रहता है।
दो साल से रख रहीं रोजा शास्त्री नगर, रामनगर निवासी कशिश खान (12) ने बताया कि वह बीते दो साल से रोजा रख रही हैं। मां नरगिस खान ने बताया कि पढ़ाई के साथ कशिश दिनभर खुदा की इबादत में मशगूल रहती है। रोजा ईमान को और मजबूत करता है। रमजान में खुदा की राह में की गई इबादत जरूर कबूल होती है, तो भूख- प्यास महसूस नहीं होती।
खुदा से अच्छा इंसान बनने की दुआ वन विहार कॉलोनी निवासी मोहम्मद अनस (8) ने बताया कि इस्लाम में रोजा फर्ज किया है। खुदा का शुक्र है कि उसने रोजा रखने की ताकत दी है। वह खुदा से अच्छा इंसान बनने की दुआ भी करते हैं।
रोजे के साथ कुरान का अध्ययन पांच बत्ती, हमीद नगर निवासी (15) इलहाम जाफरी ने बताया कि वह रोजे रखने के साथ-साथ कुरान शरीफ पढ़ती हैं। कुछ देर आराम के बाद फिर से इबादत में समय व्यतीत होता है।
घर के बड़े-बुजुर्गों को देखकर रखा पठान चौक, ब्रह्मपुरी निवासी मोहम्मद हसन चुलबुल (8) ने बताया कि घर के सभी बड़े-बुजुर्ग रोजा रखते हैं। इस कारण उन्होंने भी रोजा रखा है। सच्ची नीयत से रोजा रखा जाए तो कोई परेशानी नहीं होती।
मिलती है ताकत मानबाग निवासी (12) वर्षीय सना जैदी पूरे महीने के रोजे रख रही है। उसने बताया कि शुरुआत में थोड़ी दिक्कत हुई, लेकिन इबादत के लिए ऊपर वाला अपने आप ताकत देता है।
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