पूनियां ने पत्रकारों से बातचीत में कहा कि राज्य में कांग्रेस शासन के सवा दो साल में राजस्थान अपराधों की राजधानी बन गया है। छह लाख से अधिक मुकदमे और उसमें भी महिला अपराधों विशेषकर दुष्कर्म और बलात्कार की घटनाएं शर्मनाक हैं, इससे स्पष्ट है कि राज्य सरकार का इकबाल खत्म हो गया है। अब शर्म से मुख्यमंत्री को कुर्सी बचाने की बजाय छोड़ देनी चाहिए। उन्होंने कहा कि दुष्कर्म की घटनाओं ने राजस्थान को शर्मसार किया है। इन घटनाओं को लेकर केन्द्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने ट्वीट कर उल्लेख किया है कि अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर एक तरफ महिलाओं का सम्मान हो रहा है, उनकी प्रतिभाएं मुखरित हो रही हैं, दूसरी तरफ थानों एवं प्रदेश के विभिन्न जिलों में रेप की घटनायें हो रही हैं। मुख्यमंत्री एवं गृहमंत्री गहलोत बहन-बेटियों को सुरक्षा देने में असफल हैं।
पूनियां ने कहा कि सम्पूर्ण किसान कर्जामाफी, कानून व्यवस्था, बेरोजगारी प्रदेश के ये तीन बड़े मुद्दे हैं, जिनको लेकर गहलोत सरकार पूरी तरह विफल है। कांग्रेस ने 2018 के विधानसभा चुनाव के घोषणापत्र में यह वादा किया था कि कांग्रेस की सरकार आएगी तो रोजगार देंगे, बेरोजगारी भत्ता देंगे, किसानों का पूरा कर्जा माफ करेंगे, लेकिन एक भी वादा पूरा नहीं किया। देश में सर्वाधिक बेरोजगारी दर राजस्थान में है, जो 28.02 प्रतिशत है। इस राज्य सरकार से बेरोजगारों की नाराजगी जायज है, बेरोजगारों की ताकत ना केवल विधानसभा उपचुनाव में कांग्रेस को सबक सिखाएगी, बल्कि 2023 में कांग्रेस पार्टी के खिलाफ इनके ताबूत की आखिरी कील भी साबित होगी।