बागी विधायक भंवर लाल शर्मा और विश्ववेंद्र सिंह को छोड़कर बाकी 17 विधायकों से न तो पार्टी ने कोई कारण पूछा और न ही उन्हें संगठन से निकाला। वहीं हैरानी इस बात की भी है कि ये सभी विधायक पार्टी के प्राथमिक सदस्य होने के साथ ही अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी और प्रदेश कांग्रेस कमेटी के सदस्य भी हैं।
कांग्रेस में एआईसीसी और पीसीसी सदस्य को काफी अहम माना जाता है। कांग्रेस पार्टी के होने वाले राष्ट्रीय अधिवेशनों में बाकायदा निमंत्रण के साथ इन्हें बुलाया जाता है।
नेतृत्व पर खड़े हुए सवाल
पार्टी नेताओं की माने तो पूर्व में पार्टी से बगावत करने और पार्टी विरोधी काम करने वाले नेताओं-कार्यकर्ताओं को तत्काल 6 साल के लिए पार्टी से निष्कासित कर दिया जाता था, फिर चाहे वो कितना भी बड़ा नेता क्यों न हो, पू्र्व में कई ऐसे उदाहरण हैं, लेकिन इस बार पार्टी की इतनी किरकिरी होने के बावजूद बागी विधायकों पर संगठन की ओर से कोई कार्रवाई नहीं किया जाना आश्चर्यजनक है।
कांग्रेस हलकों में आलाकमान को लेकर भी चर्चाओं का दौर तेज है। वहीं बागी विधायक अभी भी एआईसीसी और पीसीसी मेंबर बने रहने का जवाब देने से पार्टी के शीर्ष नेता जवाब देने की बजाए एक-दूसरे की जिम्मेदारी बताकर पल्ला झाड़ रहे हैं।
किरकिरी से आहत हैं कांग्रेस कार्यकर्ता
दरअसल दो धड़ों में बंट चुकी कांग्रेस के चल रहे पॉलिटिकल ड्रामे से पार्टी के प्रति समर्पित कार्यकर्ता आहत हैं। कार्यकर्ताओं की माने इस पूरे घटनाक्रम से जनता के बीच पार्टी की छवि बिगड़ रही है और ऐसा ही चलता रहा तो आने वाले निकायों और पंचायत चुनावों में इस धड़ेबंदी का खमियाजा पार्टी को उठाना पड़ेगा।
ये बागी विधायक हैं एआईसीसी मेंबर
1-सचिन पायलट, रमेश मीणा, दीपेंद्र सिंह शेखावत, बृजेंद्र ओला, मुकेश भाकर, राकेश पारीक,
ये बागी विधायक हैं पीसीसी मेंबर
जीआर खटाणा, मुकेश भाकर, दीपेंद्र सिंह शेखावत, सुरेश मोदी, इंद्रराज गुर्जर, हेमाराम चौधरी,विश्ववेंद्र सिंह हैं।