विशेष लोक अभियोजक बीएस चौहान ने एसपी शरद चौधरी की ओर से रिपोर्ट पेश की। रिपोर्ट में बताया गया है कि धारीवाल व मीणा के विरुद्ध आपराधिक षड्यंत्र में संलिप्तता के सबूत जांच में सामने नहीं आए हैं। इसलिए दोनों को अब इस प्रकरण की जांच से अलग कर दिया गया है। एसीबी ने जोन-10 की तत्कालीन उपायुक्त दुर्गा जोशी के खिलाफ भी जांच लम्बित बताते हुए उनका 9 जून को निधन होने की कोर्ट को जानकारी दी है। वी.एम. कपूर सेवानिवृत्त हो चुके हैं तथा विदेश गए हुए हैं।
इस केस में एसीबी ने एकल पट्टा जारी करने के संबंध में पूर्व में शांति धारीवाल से पूछताछ भी की थी। लेकिन बाद में कोई कार्रवाई नहीं हुई और एसीबी ने उनके खिलाफ जांच लंबित रखी थी। गुरुवार को कोर्ट में आरोपी जीएस सन्धू, निष्काम दिवाकर, विजय सेठी व अनिल गुप्ता हाजिर हुए तथा ओंकार मल सैनी एवं अन्य मामले में जेल में बंद शैलेन्द्र गर्ग की हाजरी माफी पेश हुई। मामले में अब अगली सुनवाई 2 अगस्त को होगी।
बदला था जांच अधिकारी राज्य सरकार ने प्रकरण की जांच के लिए 25 अप्रेल को नए आईओ शरद चौधरी को नियुक्त किया था। कोर्ट ने आईओ से मामले में लंबित अनुसंधान के संबंध में 13 जून को प्रगति रिपोर्ट पेश करने के लिए कहा था।
यह है मामला प्रकरण के अनुसार एसीबी ने 2016 में परिवादी रामशरण सिंह की गणपति कंस्ट्रक्शन कंपनी को एकल पट्टा जारी करने में हुई धांधली की शिकायत पर कंपनी के प्रोपराइटर शैलेन्द्र गर्ग, यूडीएच के पूर्व सचिव जीएस संधू, जेडीए जोन-10 के तत्कालीन उपायुक्त ओंकारमल सैनी, निष्काम दिवाकर और गृह निर्माण सहकारी समिति के पदाधिकारी अनिल अग्रवाल व विजय मेहता के खिलाफ मामला दर्ज किया था। मामले में संधू पर आरोप है कि उन्होंने कंपनी के प्रोपराइटर शैलेन्द्र गर्ग को एकल पट्टा जारी करने के लिए पूर्व के निर्णय को नजरअंदाज कर नई फाइल चला दी और तीन ही दिन में पट्टा जारी कर दिया।