दरअसल, दिसंबर 1928 में इंडियन नेशनल कांग्रेस ने डोमिनन स्टेटस के लिए एक प्रस्ताव लाई, जिसके बाद ब्रिटिश सरकार ने इस मांग को ये कहते हुए खारिज कर दिया दिया था कि अभी भारत इसके लिए तैयार नहीं है। जिससे कांग्रेस काफी धक्का लगा। फिर उसके ठीक बाद साल 1929 में लाहौर अधिवेशन में पं. जवाहर लाल नेहरु को कांग्रेस का अध्यक्ष चुना गया। जिसके बाद ही कांग्रेस ने डोमिनन स्टेटश की जगह पूर्ण स्वराज की मांग कर दी।
फिर इसके बाद ही एक प्रस्ताव पारित हुआ, जिसमें 1930 के आखिरी रविवार को स्वतंत्रता दिवस के रुप मनाया जाना तय हुआ और इसके बाद इसी दिन 26 जनवरी 1930 को लाहौर में रावी नदी के किनारे तिरंगा झंडा शान से फहराया गया। हालांकि अंग्रेज उस समय भारत में ही थे। फिर देश आजादी के बाद पूर्ण स्वराज दिवस को ध्यान में रख 26 जनवरी को देश का संविधान लागू हुआ। पूरा देश हर्षोउल्लास के साथ इस दिन को गणतंत्र दिवस के रुप में मनाता है।
बता दें कि 26 जनवरी, 1950 को 10 बजकर 18 मिनट पर भारत का संविधान लागू किया गया तो वहीं भारतीय संविधान का निर्माण होने में 2 साल, 11 महीने और 18 दिन का समय लगा था। डॉ.राजेंद्र प्रसाद ने गवर्नमेंट हाऊस में 26 जनवरी, 1950 को देश के पहले राष्ट्रपति के तौर शपथ ली थी।
आपको जानकर गर्व महसूस होगा कि पहली बार गणतंत्र दिवस की परेड साल 1955 में दिल्ली के राजपथ पर आयोजित हुई थी। इस दिन देश के राष्ट्रपति तिरंगा झंडा फहराते हैं और उन्हें 21 तोपों की सलामी दी जाती है। इसके साथ ही इस दिन परमवीर चक्र, वीर चक्र, महावीर चक्र, कीर्ति चक्र और अशोक चक्र जैसे तमाम अवॉर्ड्स दिए जाते हैं।
भारतीय संविधान की प्रारुप समिति के डॉ. भीमराव अम्बेडकर अध्यक्ष थे। तो भारतीय संविधान में कई देशों के संविधानों से कई चीजों को लिया गया। हाथ से लिखी गई संविधान की मूल प्रतियां संसद भवन के पुस्तकालय में सुरक्षित रखी गई हैं, जो हिन्दी और अंग्रेजी दोनों भाषाओं में मैजूद है।