काश हमारे पास भी कोई ट्विटर अकाउंट होता…
सरकार की यह अपील कि लोग अपने घरों पर ही रहें। कोई बाहर नहीं निकले। यह अपील नाकाफी साबित होती नजर आ रही है। गांवों की ओर पलायन करने वालों के पास भी यदि कोई ट्विटर या फेसबुक अकाउंट होता, तो वे जरूर अपनी समस्या को सोशल मीडिया में शेयर करते। नौकरी या काम छूट जाने के बाद ये लोग अब अपने गांवों की ओर चल निकले हैं।
काश हमारे पास भी कोई ट्विटर अकाउंट होता…
बस या अन्य कोई साधन नहीं मिलने के बावजूद जयपुर में रह रहा ऐसा ही एक परिवार साईकिल से ही मध्यप्रदेश के मुरैना जिले की ओर चल पडा। जयपुर से मुरैना के बीच दूरी लगभग 222 किमी है। संवाददाता विमल जांगिड को उसने बताया कि मुरलीपुरा में वह किराए के मकान में रहता है लेकिन किराया न होने की वजह से मकान मालिक ने उससे कमरा खाली करा लिया। शहर में कोई और आशियाना न होने की वजह से उसे अपने परिवार सहित अपने गांव जाना पड रहा है। कोरोना का भय उसे भी है लेकिन शहर छोडना उसकी मजबूरी है। इसी तरह सैंकडों की संख्या में कई परिवार भी अपने गंतव्यों की ओर चल दिए हैं। किसी के पास पैसे खत्म हो गए हैं तो कईयों के रोजगार छिन गए हैं। सरकार की ओर से यहां किसी शेल्टर की कोई व्यवस्था की इन्हें कोई जानकारी नहीं है। कोरोना से अधिक उन्हें लाकडाउन के चलते अपनी रोजी रोटी की चिंता है। यदि सबकुछ ठीक रहा तो वापस यहां आ जाने की उम्मीद उन्हें जरूर है।
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