जयपुर। केंद्र सरकार के माइन एंड
मिनरल डवलपमेंट एंड रेग्यूलेशन (एमएमडीआर) अध्यादेश 2015 की अधिसूचना जारी होने के
पहले चार बड़ी सीमेंट कंपनियों को खनन पट्टे आवंटित करने का मामला गुरूवार को
विधानसभा में जोरशोर से उठा।
विपक्ष ने नीलामी की बजाय आवंटन करने से दो हजार करोड़
रूपए के राजस्व नुकसान का आरोप लगाते हुए कहा कि अधिकारियों ने केंद्र की अध्यादेश
प्रक्रिया के दौरान आवंटन कर घोटाला किया है। हालांकि, सरकार ने बचाव की कोशिश की।
लेकिन खान मंत्री राजकुमार रिणवां के जवाब के बीच संसदीय कार्य मंत्री राजेंद्र
राठौड़ के भी हस्तक्षेप करने पर सदन में हंगामा हो गया। करीब आधे घंटे चले शोरशराबे
के बीच विपक्ष ने राठौड़ को बोलने नहीं दिया।
कांग्रेस के सचेतक गोविंद सिंह
डोटासरा ने शून्यकाल में विशेष उल्लेख के जरिए यह मामला उठाया। उन्होंने कहा,
एमएमडीआर की अधिसूचना 12 जनवरी, 2015 को जारी हो गई।
इसमें खानें नीलामी से ही देने का स्पष्ट प्रावधान है, लेकिन अधिकारियों ने
चार बड़ी कंपनियों लाफार्ज इंडिया, श्रीसीमेंट, इमामी सीमेंट और वंडर सीमेंट को
34.33 किमी खनन क्षेत्र आवंटित कर दिया। इसके अलावा भी लगभग सवा आठ सौ आवंटन
हुए।
आवंटन सही ठहराया रिणवां ने आवंटन को
सही ठहराते हुए कहा कि
आवंटन जनता के फायदे वाला है।इससे निवेश, रोजगार, रॉयल्टी का लाभ मिलेगा। अभी आवंटन
हुआ है। मामला अब केंद्र के पास जाएगा। वहां भी भू-वैज्ञानिक इसकी जांच कर सकेंगे।
इसके बाद काम होगा।
आवंटन रद्द कर नीलामी हो
डोटासरा ने कहा कि खानों की
नीलामी से कितना फायदा होता, इसका अंदाज इसी से लगाया जा सकता है कि राज्य में बजरी
की 80 खानों के आवंटन से 58 करोड़ के राजस्व का अंदाज लगाया गया था, लेकिन नीलामी
से 460 करोड़ रूपए का राजस्व मिला। डोटासरा ने इस मामले की न्यायिक जांच करवाने,
दोषी अधिकारियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करवाने व राजस्व नुकसान की भरपाई अधिकारियों
से वसूल करने के साथ आवंटन रद्द कर इनकी नीलामी करवाने की मांग की।
फैसला
पूर्ववर्ती सरकार का था
रिणवां ने जवाब में कहा, वर्ष 2010 में पूर्ववर्ती सरकार
ने सीमेंट पट्टे जारी करने के लिए 19 ब्लॉक बनाकर आवेदन मांगे थे। इसी के तहत
प्रक्रिया चल रही थी। आवेदकों के 2013 और 2014 में इंटरव्यू लिए गए। आवंटन का फैसला
तो पूर्ववर्ती सरकार ने ही कर लिया था। तत्कालीन खनन सचिव सुधांशु पंत ने मुख्य
सचिव से सुझाव मांगा था कि आवंटन करें या नीलामी। फिर वित्त सचिव और खनन सचिव आदि
ने संयुक्त बैठक में विधि विभाग की सलाह के आधार पर यह काम आवंटन के जरिए करने का
फैसला किया था।
रिणवां घिरे तो राठौड़ देने लगे जवाब
रिणवां के जवाब पर
डोटासरा ने बार-बार सवाल किया कि अध्यादेश का पता था फिर नीलामी की बजाय गुपचुप
आवंटन क्यों किया। रिणवां ने कहा कि अभी तो 15 ब्लॉक और पड़े हैं। चिंता की जरूरत
नहीं है। इस बीच, अध्यक्ष ने चर्चा समाप्त करने की घोषणा कर अगला नाम पुकार लिया,
लेकिन राठौड़ खड़े होकर जवाब देने लगे तो हंगामा शुरू हो गया। डोटासरा और अन्य
विपक्षी विधायकों ने कहा कि मंत्री सदन में हैं तो राठौड़ जवाब नहीं दे
सकते।
तिवाड़ी ने भी की आपत्ति
विधायक घनश्याम तिवाड़ी ने व्यवस्था
का प्रश्न उठा खान घोटाले के विशेष उल्लेख के दौरान राठौड़ के जवाब देने की कोशिश
पर आपत्ति की। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री ही जवाब देने के लिए अधिकृत कर सकती है।
इसी तरह पूर्ववर्ती सरकार के सारे निर्णय मंत्रिमंडल की उप समिति ने रोक दिए थे।
इसका जवाब मिलना चाहिए कि आवंटन जनहित में कैसे था। यदि नहीं था तो इसे रोकना चाहिए
था। विधानसभाध्यक्ष ने व्यवस्था दी कि संसदीय कार्यमंत्री को हर वक्त हस्तक्षेप
करने का अधिकार है।