ग्रंथ के भाष्यकार राष्ट्रपति सम्मानित विद्वान प्रोफेसर दयानंद भार्गव ने इसके लेखन के उद्देश्य को स्पष्ट करते हुए कहा कि देश-काल के अनुसार समस्याएं एवं उनके समाधान है। इसमें समस्या और समाधान के लिए 3000 वर्ष पुराने संदेशों को आधुनिकता के साथ प्रस्तुत किया गया है। ये ग्रंथ विश्व को श्रम, समता, शांति और अहिंसा के मार्ग पर ले जाने वाला है। इस ग्रंथ को चार भागों में विभक्त किया गया है। आत्मप्रकाश, मुक्तिमार्ग, मीमांसा और सापेक्षता का सिद्धांत। ये तुलना और तार्किक रूप से परिभाषित किये गए है। टॉक शो की वार्ताकार डॉ .सुषमा सिंघवी ने कहा कि यह ग्रंथ जैन धर्म की सभी परम्पराओ और मान्यताओं के लिए स्वीकार्य है। ये सम्यक ज्ञान, दृष्टि और चरित्र के माध्यम से मोक्ष का मार्ग बताता है।