मूल रूप से गुजरात से आए बाबा कमलनाथ के शिष्यों का कहना है कि संन्यास के बाद से ही वे जंगलों में रहते आए हैं। पिछले 45 साल से गहनकर आश्रम में रह रहे हैं। इनके आश्रम में कैंसर के मरीजों का उपचार किया जाता है। जड़ी-बूटियों से किए जाने वाले उपचार के लिए हिमालय के क्षेत्रों और गुजरात से मंगाई जाती है। आश्रम के सेवादार मदन चावड़ा ने बताया कि यहां प्राय: वे ही मरीज आते हैं जिन्हें डॉक्टरों ने जवाब दे दिया होता है।
वीआईपी लोगों ने भी ली दवा
बाबा कमलनाथ के आश्रम से अति विशिष्ट लोग भी दवा चुके हैं। इनमें पूर्व उपराष्ट्रपति स्व. भैरो सिंह शेखावत, पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर, राज्यसभा सांसद विनय कटियार भी शामिल हैं।
नेपाल से आती हैं मुख्य जड़ी-बूटियां
इंडोनेशिया, नेपाल, मलेशिया भारत के वन क्षेत्र से जड़ी-बूटियों का संग्रहण कर कैंसर, हार्ट, टीबी, मिर्गी ब्लड प्रेशर की दवा बाबा कमलनाथ आश्रम में बनाई जाती है। इसमें मुख्य रूप से जड़ी -बूटियां नेपाल से लाई जाती हैं।
बीमारी के स्टेज के अनुसार दवा
डॉक्टरों की रिपोर्ट देखने के बाद ही बीमारी के स्टेज के अनुसार दवा दी जाती है। डॉक्टरों द्वारा दी जा रही दवा के साथ -साथ या केवल आश्रम की दवा का मरीज सेवन कर सकता है। आश्रम द्वारा तीन चरण की दवा दी जाती रही है। प्रथम चरण में आश्रम की बनी दवा तीन नंबरों से दी जाती है, एक नंबर, दो नंबर, तीन नंबर से दवा के नाम रखे हुए हैं। द्वितीय चरण में तीन दवा के अलावा बैंग भस्म और तृतीय चरण में श्री गोपाल बेल आदि का मिश्रण कर दवा दी जाती है। यह जड़ी बूटी से ही तैयार होती है।