सौरभ शुक्ला का कहना है कि थ्रिलर प्ले तैयार करना इतना आसान नहीं है, क्योंकि इसकी तैयारी खास तरह से करनी पड़ती है। अन्य नाटकों में आप कहानी के साथ एक्सपेरिमेंट और ट्रीटमेंट कर सकते हैं लेकिन थ्रिलर प्ले में विजुअल इफेक्ट्स से भी खेलना होता है और फिल्मों के लिए तो हमारे पास काफी ऑप्शन होते हैं लेकिन प्ले करते वक्त आपको मेहनत करनी पड़ती है। इस प्ले के लिए हमें कश्मीर की भारी बर्फबारी दिखानी थी। थ्रिलर प्ले में आप सिर्फ कह कर नहीं रह सकते कि बर्फबारी हो रही है, उसे दिखाना भी होगा। इसके लिए खास तरह की स्नो मशीन की जरूरत थी। हिंदुस्तान में जो भी स्नो मशीन हैं, उनसे काफी आवाज आती है और प्ले में वह बाधक बन सकती थी। इसलिए पूरी टीम ने निर्णय लिया कि वो इसे बाहर से मंगवाएंगे। फिर हमने पता किया कि अब्रॉड से अगर हम मंगवाते हैं तो वह काफी महंगी होगी। फिर एक रास्ता निकाला, हमने विदेश में इस्तेमाल होने वाली स्नो मशीन के पूरे मेकेनिज्म को समझा, फिर उसे यहां की मशीन पर आजमाया और चार मशीनें बना दीं। फिर राघव प्रकाश ने स्टेज डिजाइन अलग तरीके से किया। म्यूजिक अनिल चौधरी ने दिया है। लाइटिंग भी अलग तरह से की गई है।
बकौल सौरभ, नाटक की योजना जेहन में तब आई थी, जब मैं एक फिल्म की शूटिंग के लिए कश्मीर गया और वहां कश्मीर को अपने नजरिए से देखा और महसूस किया कि कश्मीर बेहद खूबसूरत है, मगर वहां सख्ती और डर का माहौल है। उसी वक्त मैंने सोचा कि इससे जुड़ी एक कहानी लिखूंगा।
‘बर्फ’ में कश्मीर का सैट है लेकिन उसमें न तो किसी राजनेता का नाम है और न ही आतंकवाद का नाम लिया गया है। लेकिन इसके बावजूद नाटक में उस जगह की राजनीति से लेकर आतंकवाद तक सबका प्रभाव नजर आया।