इस कॉन्सेप्ट पर सिटी वीमन ने अपने व्यूज शेयर किए – स्कूल हॉफ बॉटल भेजती हूं आने वाले सालों में पानी लग्जरी हो जाएगा। ऐसे में आज से ही पानी बचाने को लेकर गंभीरता दिखाई जानी चाहिए। पानी को वेस्ट नहीं करना चाहिए। कटिंग पानी एक अच्छा कॉन्सेप्ट है। आपके घर में यदि गेस्ट भी आते हैं तो उतना ही पानी दें, जितना उन्हें पीना हो। वहीं होटल या रेस्तरां में भी पूरे गिलास की बजाय ‘कटिंग ग्लासÓ मांगना चाहिए, भले ही बाद में और पानी मांगा जा सकता है। मैं अपने बच्चे की स्कूल बॉटल को भी आधा ही भरती हूं, क्योंकि मुझे पता है, वह पूरी बॉटल पानी नहीं पी पाता।
रतिका भार्गव, फू ड एंटरप्रिन्योर चेन्नई जैसे हालात हो जाएंगे यदि आज हम पानी बचाने की पहल नहीं करेंगे, तो चेन्नई के वाटर क्राइसिस जैसे हालात हो जाएंगे। बच्चे भी पानी बचाने को लेकर अवेयर हैं। ‘कटिंग पानीÓ कॉन्सेप्ट इसीलिए यूनीक है क्योंकि अक्सर घरों व रेस्तरां में पूरा गिलास पानी भरकर पीने की आदत बनी हुई है, फिर यदि कोई पूरा ग्लास नहीं पी पाता तो वह पानी वेस्ट हो जाता है। पानी को वेस्ट होते देख हम आंख बंद नहीं कर सकते।
देवयानी भटनागर, एजुकेशनिस्ट पानी अनमोल पर वाटर चार्ज कम होने से नहीं समझते इसका मोल शहर में जलदाय विभाग के पानी की कीमत जानकार आपको हैरानी होगी, शहर में इतने सस्ते में पानी मिलता है, जिसके चलते लोग पानी को लापरवाही से इस्तेमाल करते हैं, उसके वेस्ट पर ध्यान नहीं देते हंै। जानकारी के अनुसार सरकारी पानी की कीमत एक रूपए 72 पैसे प्रति हजार लीटर है। यदि पानी का बिल बिजली बिल जितना आने लगे तो हम इसे बेदर्दी से वेस्ट करने के बजाय एक-एक बूंद को बचाने को प्रोयोरिटी देने लगेंगे।