मुख्य न्यायाधीश एस रविन्द्र भट्ट व न्यायाधीश विनीत कुमार माथुर की खण्डपीठ ने जोधपुर में बैठकर सुनवाई की, वहीं जयपुर से वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए महाधिवक्ता एम एस सिंघवी व अतिरिक्त महाधिवक्ता सत्येन्द्र सिंह राघव ने राज्य सरकार तथा अधिवक्ता अभिनव शर्मा ने याचिकाकर्ता अरविन्द शर्मा का पक्ष रखा। सोमवार को सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता पक्ष ने गुर्जर सहित पांच जातियों को पांच प्रतिशत आरक्षण देने पर सवाल उठाया। उनका कहना था कि जो पिछड़ी जातियां हैं, उनकी स्थिति का अध्ययन नहीं किया गया। केवल इन जातियों को लाभ पहुंचाने के लिए अध्ययन किया गया। कोर्ट ने इस दौरान याचिकाकर्ता पक्ष से जाट और यादव जातियों के सरकारी नौकरियों में प्रतिनिधित्व की जानकारी भी ली। याचिकाकर्ता की ओर से कहा गया कि अति पिछड़ा वर्ग को पांच प्रतिशत आरक्षण के लिए आधार बनाई गई रिपोर्ट आंखों में धूल झोंकने वाली है। पूरी जातियों का अध्ययन नहीं किया गया, कई जातियों को अधिक प्रतिनिधित्व मिल चुका है। इन जातियों को बाहर किया जाना चाहिए। इस दौरान कोर्ट ने याचिकाकर्ता से इस तरह के जातिगत आंकड़ों को लेकर जानकारी मांगी। राज्य सरकार की सूची में जातिगत विभाजन नहीं होने पर कोर्ट ने सवाल उठाए। राज्य सरकार ने इसी साल कानून बनाकर अति पिछड़ा वर्ग को 5 प्रतिशत आरक्षण की अधिसूचना जारी की। इस अधिसूचना को ही अरविन्द शर्मा व अन्य ने चुनौती दी है।
नए अध्याय की शुरूआत—मुख्य न्यायाधीश मुख्य न्यायाधीश एस रविन्द्र भट्ट ने सोमवार को सुनवाई की शुरुआत करते हुए कहा था कि हम एक नए अध्याय की शुरूआत कर रहे हैं। उन्होंने इस मौके पर सभी को बधाई दी। साथ ही, कहा कि बार एसोसिएशन को बधाई की पात्र है, इस पहल से उम्मीद है समय और धन की बचत के साथ साथ पक्षकारों को शीघ्र न्याय मिल सकेगा। कोर्ट ने जोधपुर और जयपुर में चल रहे इसी तरह के मामलों की सुनवाई करने की मंशा भी जाहिर की।