इसका सर्वाधिक बुरा असर निम्न वर्ग की महिलाओं और किशोरियों पर भी पड़ रहा है। पड़ताल में सामने आया कि लॉकडाउन के पहले से स्कूल जा रही लड़कियों को अब स्कूल खुलने के बाद उनके स्कूल ड्राप आउट का खतरा सताने लगा है। अभी चल रही आनलाइन कक्षाओं में भी किसी परिवार में लड़का और लड़की दोनों होने पर संसाधनों की कमी के चलते लड़कों को ही कक्षा अटैंड करने पर अधिक तरजीह दी जा रही है। लड़कियों को जल्द शादी करने और घर के काम में ही झोंक देने की चिंता भी सता रही है। शुरूआती तौर पर इस तरह की समस्याएं सामने आने पर कुछ संस्थाओं ने इस पर रिसर्च भी शुरू कर दी है, जिनके विस्तृत परिणाम भी जल्द सामने आने की संभावना है।
परिवारों ने इस तरह बताई अपनी व्यथा राजस्थान के टोंक जिले के निवाई उपखंड का एक परिवार कोविड प्रकोप से बुरी तरह प्रभावित होने और रोजगार खोने के बाद वापस अपने गांव लौट आया है। पति पत्नी और परिवार में दो ही बच्चे हैं। पहले यह परिवार जयपुर में ही रहकर अपना गुजर बसर करते था। वहां एक छोटे निजी स्कूल में दोनों बच्चे पढ़ते थे। अब समस्या स्कूल से निकलवाने की आ गई है, स्कूल ने आनलाइन कक्षा शुरू करवा दी है, अभी तक लड़के को तो पढ़वा रहे हैं, लड़की की आनलाइन कक्षा भी छूट गई है।
लड़कियों से पत्रिका संवाददाता ने किया संवाद, बताई अपनी पीड़ा राजस्थान पत्रिका ने प्रदेश के कुछ जिलों की लड़कियों से संवाद किया तो उन्होंने अपनी पीड़ा को साझा किया… या तो छूटेगी पढ़ाई, या जाना होगा सरकारी में..
जयपुर जिले के बस्सी क्षेत्र में कानोता इलाके की किशोरी को डर है कि आने वाले समय में जब भी उनके स्कूल खुलेंगे तो हो सकता है कि उन्हें स्कूल भेजा ही नहीं जाए, कारण पूछने पर वे साफ कहती हैं कि उनके परिवार में लड़के भी हैं और लड़कियां भी, परिवार की आर्थिक स्थिति खराब हो चुकी है।
आनलाइन पढ़ाई से ही मिलने लगे संकेत डूंगरपुर जिले की एक किशोरी ने एक आनलाइन संवाद में बताया कि अभी आनलाइन पढ़ाई चल रही है, लेकिन उनकी कक्षाएं अभी से ड्राप होना शुरू हो गई है, कारण..परिवार के पास संसाधनों का नहीं होना..हालांकि परिवार वाले कोशिश कर रहे हैं लड़कों की पढ़ाई आनलाइन भी ड्राप नहीं हो।
नजदीकी स्कूलों से भी अपने स्तर पर कर रही पूछताछ राजस्थान में काम करने वाली विभिन्न स्वयंसेवी संस्थाओं ने भी इसे लेकर चिंता जताई है, इनका मानना है कि स्कूल खुलने के बाद बड़ी संख्या में लड़कियों का स्कूल ड्राप आउट का खतरा बना हुआ है।
फैक्ट फाइल : खतरा इसलिए भी बड़ा, प्रदेश में लैंगिक असमानता अधिक
— लड़के और लड़कियों का अनुपात 1000:943 — राजस्थानम में 15 से 16 आयु वर्ग की किशोरियों में हर 5 में से 1 स्कूल छ़ोड़ देती है। यह देश के सर्वाधिक खराब वाले राज्यों की स्थिति है। राजस्थान में स्कूली छात्राओं के स्कूल ड्रॉप आउट को लेकर भी खतरा पहले से ही अधिक है।
— एक करोड़ स्कूली बच्चों के दुनिया में स्कूल ड्रॉप आउट की आशंका, राजस्थान में भी यह संख्या जा सकती है करीब 50 हजार विशेषज्ञों ने भी जताई चिंता…
यह खतरा बड़ा… वैसे, संकट अकेली लड़कियों की शिक्षा ही नहीं, बल्कि लड़कों की शिक्षा को लेकर भी है, जिस पर सरकार को तत्काल ध्यान देने की आवश्यकता है। लड़कियां स्कूल के लिए पहले घर से बाहर निकलती थी, कुछ सीखती थी, अब उन्हें वापस से घर के काम में ही लगाया जा सकता है। लॉकडाउन के समय में विशेष तौर पर वंचित वर्ग के लिए शिक्षा बड़ी समस्या बन रही है, आने वाले दिनों यह और बढ़ सकती है। जिस घर में एक से अधिक बच्चे हैं, और आनलाइन के संसाधन एक ही हैं तो वहां लड़कों को ही पहली प्राथमिकता दिया जा रहा है। आने वाले समय में यह समस्या और बढ़ेगी।
शारदा जैन, शिक्षा के क्षेत्र में शोधकर्ता ——— स्थितियां सुधरी हैं, पर पूर्व चलन को देखते हुए खतरे की घंटी बड़ी राजस्थान में इसे ले
कर खतरा अधिक है, यहां लड़के और लड़कियों में अंतर का लंबा इतिहास है, हालांकि अब यह चलन कम है, लेकिन बिगड़ी आर्थिक स्थिति में कई परिवार लड़के और लड़कियों में से एक के लिए ही शिक्षा जारी रख सकते हैं, ऐसे में उनकी पहली पंसद पढ़ाई के लिए लड़का हो सकती है, जो कि बड़े खतरे का संकेत है। इस पर समय रहते कदम उठाए जाने की आवश्यकता है, राजस्थान में इसके लिए किशारियों से आनलाइन गुप्त सर्वे करवाया जाना चाहिए।
डॉ.वीरेन्द्र सिंह, सदस्य, कोविड कोर कमेटी, मुख्यमंत्री राजस्थान एवं पूर्व अधीक्षक सवाई मानसिंह अस्पताल