स्कूल व्याख्याता और प्रधानाध्यापक धरने पर
एक दूसरे की मांगों के विरोध में दिया धरनाअगल बगल बैठकर दिया धरना
स्कूल व्याख्याता और प्रधानाध्यापक धरने पर
राजधानी के 22 गोदाम स्थित धरना स्थल पर सोमवार को एक अलग नजारा देखने को मिला। धरना स्थल पर एक ओर रेसा के बैनर तले प्रधानाध्यापक धरना देकर बैठे थे तो उनसे कुछ ही दूरी पर रेसला के बैनर तले स्कूल व्याख्याताओं का सांकेतिक धरना जारी था। खास बात यह थी कि दोनों ही संगठन एक दूसरे की मांगों के विरोध में धरना देकर बैठे हुए थे।
रेसला की मांग : प्रिंसिपल पद पदोन्नति में स्कूल व्याख्याता का अनुपात बढ़ाया जाए
दरअसल रेसला के बैनर तले धरने पर बैठे व्याख्याता, प्रिंसिपल पद पदोन्नति में स्कूल व्याख्याताओं के अनुपात को बढ़ाए जाने का मांग कर रहे हैं। उनका कहना है कि उन्होंने सरकार से अनुपात को बढ़ाए जाने की मांग की थी। जिस पर उच्च स्तर पर पत्राचार हुआ और 80:20 का अनुपात तय भी कर लिया गया। 9 फरवरी को कैबिनेट की बैठक में इस पर निर्णय होना था लेकिन बैठक से ठीक पहले इसे डेफर कर दिया गया। ऐसे में अब उन्हें मजबूरन जिससे स्कूल व्याख्याता नाराज हैं और अब उन्होंने आंदोलन करने का निर्णय लिया है। आज धरने से इसकी शुरुआत की जा रही है। इसके बाद पांच मार्च को विधानसभा का घेराव भी किया जाएगा। रेसला के मुख्य प्रदेश महामंत्री सुमेर खटाणा का कहना है कि दरअसल प्रदेश में स्कूल व्याख्याताओं की संख्या 54000 हैं वहीं दूसरी ओर प्रधानाध्यापकों की संख्या लगभग 3500 है। दोनों एक ही ग्रुप से संबंधित है, दोनों ही समकक्ष पद हैं और दोनों ही राजपत्रित हैं। व्याख्याताओं की संख्या अधिक होने के करण उन्हें पदोन्नति का पूरा लाभ नहीं मिल पाता। शिक्षा विभाग में सामंजस्य स्थापित करने के लिए सरकार की ओर से प्रधानाध्यापक का पद समाप्त कर माध्यमिक स्कूलों में व्याख्याता को लगाया जाना चाहिए। जिस प्रकार द्वितीय श्रेणी का अध्यापक मिडिल स्कूल में हैडमास्टर का काम करता है। माध्यमिक और उच्च माध्यमिक में द्वितीय श्रेणी का अध्यापक होता है। उसी प्रकार एक व्याख्याता माध्यमिक स्कूल में रहने पर प्रधानाध्यापक का काम करेगा और उच्च माध्यमिक में रहने पर व्याख्याता का काम करेगा।
वर्तमान अनुपात को यथावत रखा जाए: रेसा
वहीं राजस्थान शिक्षा सेवा परिषद रेसा के पदाधिकारियों का कहना था कि प्रधानाचार्य पदोन्नति में आनुपातिक व्यवस्था समाप्त कर लीनियर चैनल लागू किया जाए साथ ही वर्तमान अनुपात को यथावत रखा जाए। रेसा के बैनर तले प्रधानाध्यापक जिला शिक्षा अधिकारी के पिछले 2 साल से रिक्त पदों और आगामी सालों में होने वाले रिक्त पदों की गणना कर शतप्रतिशत पदोन्नति से भरने की मांग भी कर रहे हैं। उन्होंने प्रधानाचार्य पदोन्नति में एन ब्लॉक वरिष्ठता भी लागू किए जाने की मांग की। रेसा के प्रदेश महामंत्री प्रभुदयाल का कहना है कि यदि सरकार उनकी मांगों पर सुनवाई नहीं करती तो रेसा आगामी 5 मार्च को न्याय रैली निकालेगा जिसमें प्रदेश भर के प्रधानाचार्य शामिल होंगे।