आजकल स्क्रब टाइफस नामक बीमारी के भी कई मामले सामने आ रहे हैं। पिस्सुओं के काटने से होने वाली इस बीमारी में भी डेंगू की तरह प्लेटलेट घटने लगते हैं। यह खुद तो संक्रामक नहीं है, लेकिन इसके कारण शरीर के कई अंगों में संक्रमण फैलने लगता है। पहाड़ी इलाके, खेतों और जंगल के आस पास पिस्सु अधिक पाए जाते हैं। लेकिन शहरों में भी बारिश के मौसम में जंगली पौधों या घनी घास के आस पास काटने का अधिक खतरा रहता है।
— पिस्सु के काटने के दो तीन हप्ते के बाद तेज बुखार 102 या 103 डिग्री तक
— सिर दर्द, खांसी, मांसपेशियों में दर्द, शरीर में कमजोरी
— पिस्सु के काटने पर फोलेनुमा काली पपड़ी जैसा निशान दिखाई देता है
— कुछ मरीजों में लिवर व किडनी काम नहीं कर पाते, जिससे वह बेहोशी की स्थिति में चला जाता है
— बीमारी की गंभीरता के अनुसार प्लेटलेट भी कम होने लगते हैं
– स्वाइन फ्लू : 5042 मरीज, 206 मौतें
– डेंगू : 507 मरीज, जयपुर में करीब 287 मरीज
– स्क्रब टाइफस : 500 मरीज, जयपुर में अब तक 200 से अधिक मरीज
– मलेरिया : 782 मरीज, एक मौत
– चिकनगुनिया : 12 मरीज
स्क्रब टाइफस के बढ़ रहे मामलों को देखते हुए पशुपालन विभाग के अधिकारियों को पायरेथ्रम का स्प्रे करने के निर्देश दिए गए हैं। जयपुर के अलावा,अलवर, उदयपुर, कोटा, झालावाड़, भरतपुर, अजमेर, करौली, टोंक, करौली, दौसा, सवाईमाधोपुर, सीकर, झुंझुनूं, बारां, झालावाड़, चित्तौडगढ़़ व राजसमंद आदि जिलों में सर्वाधिक केस सामने आ रहे हैं।