सेकंड हैंड कारों ने बिगाड़ी ऑटो सेक्टर की सेहत
मुंबई। वाहन उद्योग ( automobile industry ) में मंदी का सबसे बड़ा कारण यूज्ड कार ( Used cars ) यानी सेकंड हैंड कारें हैं। भारतीय बाजार ( Indian market ) में सेकंड हैंड कारों का प्रचलन तेजी ( increasing rapidly ) से बढ़ रहा है और इसकी वजह से नई कारों की बिक्री घटने लगी है।
सेकंड हैंड कारों ने बिगाड़ी ऑटो सेक्टर की सेहत
ब्लूमबर्ग के एक्सपर्ट की तो कम से कम यही राय है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ( Finance Minister Nirmala Sitharaman ) ने हाल ही में कहा था कि ऑटोमोबाइल इंडस्ट्री में मंदी ओला (Ola) और उबर ( Uber ) जैसे टैक्सी एग्रीगेटर कंपनियों अर्थव्यवस्था में मंदी जैसे हालात, आय वृद्घि में सुस्ती और बचत घटने की वजह से नई कारों की बजाए यूज्ड कारों का बाजार और बढ़ सकता है। उनका कहना है कि पिछले सात वर्षों में यूज्ड कार सेग्मेंट में संगठित क्षेत्र की दिलचस्पी लगातार बढ़ी है। इससे सेकंड हैंड कारों के प्रति ग्राहकों का भरोसा बढ़ा है।
सरकार ने इंजन की साइज के आधार पर सेकंड हैंड वाहनों पर टैक्स की दर 28 प्रतिशत से घटाकर 12 व 18 प्रतिशत कर दिया है। इसके कारण यह सेग्मेंट पहले से ज्यादा आकर्षक हो गया है। पिछले साल सेकंड हैंड बाजार में 6 से 8 साल पुरानी कारों की हिस्सेदारी बढ़कर 28 फीसदी हो गई है, जो महज 2 साल पहले शून्य थी। करीब 50 फीसदी सेकंड हैंड कारों के खरीददार 25 से 34 साल उम्र के हैं। देश में कारों की सबसे ज्यादा मांग इसी उम्र के ग्राहकों से निकलती है। पिछले 3 साल के दौरान सेकंड हैंड कारों के लिए फाइनेंस की हिस्सेदारी 10 फीसदी से बढ़कर 17 फीसदी हो गई।
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