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जयपुर

अरावली पर्वतमाला ओढे़गी हरियाली चादर, ड्रोन से होगा बीजारोपण

पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर उदयपुर में पांच हैक्टेयर भूमि में होगा बीजरोपण, तैयारी
 

जयपुरSep 06, 2020 / 11:07 pm

Amit Pareek

अरावली पर्वतमाला ओढे़गी हरियाली चादर, ड्रोन से होगा बीजारोपण

अरावली पर्वतमाला ओढे़गी हरियाली चादर, ड्रोन से होगा बीजारोपण

जयपुर. वन विभाग ने अरावली पर्वतमाला को हराभरा करने की तैयारी शुरू कर दी है। इसके लिए विभाग अब ड्रोन की मदद लेगा और बीजारोपण कर पर्वतमाला को हरियाली की चादर ओढ़ाएगा। पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर उदयपुर जिले से इसकी शुरूआत हो गई है। इस तकनीक का राज्यभर में उपयोग किया जाएगा। सालाना वन विभाग मानसून सत्र में पौधरोपित करता है, लेकिन अरावली पर्वत माला के ऊंचे इलाकों में हर बार नाकाम साबित होता है। ऐसे में इस बार इसका तोड़ निकालते हुए विभाग ड्रोन से एरियल सीडिंग का प्रयोग करेगा। इसके लिए उदयपुर जिले में झाड़ापीपला इलाके में पांच हैक्टेयर भूमि को चिन्हित किया है। यहां ड्रोन के माध्यम से सीड बॉल्स का छिड़काव करेगा। अरावली में कई ऐसे क्षेत्र हैं, जहां आसानी से पहुंच पाना संभव नहीं है। उन क्षेत्रों तक पहुंचने के लिए ड्रोन का प्रयोग करते हुए अरावली की पहाड़ियों के अनुकूल स्थानीय प्रजातियों के पौधों के बीज डाले जाएंगे। वन अधिकारियों ने बताया कि, एरियल सीडिंग के माध्यम से बीजरोपण के लिए स्थानीय प्रजातियों जैसे धोक, गूगल, खैरी, रोझ, ककेड़ा, बेर, चमरोड समेत कई प्रजातियाें के बीजों को मिट्टी, खाद, राख आदि के मिश्रण से सीड बॉल्स तैयार की गई हैं। ड्रोन तकनीक का प्रयोग करके इन सीड बॉल्स को अरावली की पहाड़ियों में डाला जाएगा। इनकी खासियत है कि एक बार डालने के बाद किसी प्रकार की देखभाल की जरूरत नहीं है। इनमें पर्याप्त मात्रा में पोषक तत्व मिलाए गए हैं। इस कारण बॉल्स के दीमक, चूहों आदि द्वारा नष्ट किए जाने की संभावना नहीं है। बरसात आने पर इन सीड बॉल्स में फुटाव आएगा और उसमें मौजूद पोषक तत्व इन पौधों की वृद्धि में मदद करेंगे। साफ तौर पर यह पर्वतमाला को हरियाली की चादर ओढ़ाने में उपयोगी साबित हो सकती है।
जालौर में किया उपयोग, रोपे
जालौर में भी वन विभाग ने ट्रायल बेस पर इस तकनीक का इस्तेमाल किया है। यहां दुर्ग और सोनगिरि पर्वत के ऊंचे इलाकों में बीजरोपण कार्य किया गया है। इसे भी खूब सराहना मिली है। इधर अलवर जिले में भी उपयोग लेने की बात सामने आ रही है।
हरियाली का गणित, 30 फीसदी पौधे होते नष्ट
सालाना वन विभाग की ओर से सरकारी भूमि पर पौधे रोपित किए जाते है। इनमें अमूमन वह प्रजातियां होती हैं जिन्हें कम देखरेख और पानी की जरूरत होती है। इनमें 100 फीसदी में से भी 20 से 30 फीसदी पौधे कुछ समय बाद ही कीड़े लगने या अन्य कोई खामी के चलते नष्ट हो जाते है। इस स्थिति में यह तकनीक उपयोगी साबित होगी।

पहले चरण में बिखेरी जाएंगी दस हजार बॉल
उदयपुर के डीएफओ अजय चित्तौड़ा ने बताया कि इस योजना के तहत पांच हैक्टेयर भूमि में करीबन पांच से दस हजार तक बॉल बिखेरी जाएगी। इंदौर की एक कंपनी से ड्रोन के लिए बातचीत हुई है। अभी इलाकों की वर्तमान स्थिति का सर्वे हो रहा है। ड्रोन आते ही बीजरोपण शुरू कर देंगे।
उदयपुर से पायलट प्रोजेक्ट के तहत नवाचार की शुरूआत की जा रही है। यह तकनीक पहाड़ी इलाकों में हरियाली के लिए फायदेमंद साबित होगी। इसे जल्द प्रदेश भर में शुरू किया जाएगा।
– जीवी रेड्डी, प्रधान मुख्य वन संरक्षक(हॉफ)

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