जालौर में भी वन विभाग ने ट्रायल बेस पर इस तकनीक का इस्तेमाल किया है। यहां दुर्ग और सोनगिरि पर्वत के ऊंचे इलाकों में बीजरोपण कार्य किया गया है। इसे भी खूब सराहना मिली है। इधर अलवर जिले में भी उपयोग लेने की बात सामने आ रही है।
सालाना वन विभाग की ओर से सरकारी भूमि पर पौधे रोपित किए जाते है। इनमें अमूमन वह प्रजातियां होती हैं जिन्हें कम देखरेख और पानी की जरूरत होती है। इनमें 100 फीसदी में से भी 20 से 30 फीसदी पौधे कुछ समय बाद ही कीड़े लगने या अन्य कोई खामी के चलते नष्ट हो जाते है। इस स्थिति में यह तकनीक उपयोगी साबित होगी।
पहले चरण में बिखेरी जाएंगी दस हजार बॉल
उदयपुर के डीएफओ अजय चित्तौड़ा ने बताया कि इस योजना के तहत पांच हैक्टेयर भूमि में करीबन पांच से दस हजार तक बॉल बिखेरी जाएगी। इंदौर की एक कंपनी से ड्रोन के लिए बातचीत हुई है। अभी इलाकों की वर्तमान स्थिति का सर्वे हो रहा है। ड्रोन आते ही बीजरोपण शुरू कर देंगे।
– जीवी रेड्डी, प्रधान मुख्य वन संरक्षक(हॉफ)