वल्लभ नगर, सहाड़ा और सुजानगढ़ में दिवंगत नेताओं के परिवारों में टिकट के लिए कई-कई दावेदार सामने आ रहे हैं, जिससे कांग्रेस को खासी मशक्कत करनी पड़ रही है। हालांकि कांग्रेस की मंशा तीन सीटों पर परिवार से ही प्रत्याशी बनाए जाने की है , लेकिन कई-कई दावेदार सामने आने से परेशानी ये है कि आखिर किसे प्रत्याशी बनाया जाए?
सुजानगढ़, वल्लभ नगर और सहाड़ा में कई दावेदार
दरअसल उपचुनावों को लेकर पिछले डेढ़ माह से लगातार सत्ता और संगठन चुनावी तैयारियों में लगा हुआ है। प्रत्याशियों के बारे में लगातार चली मुख्यमंत्री आवास पर फीडबैक बैठकों का दौर चला जहां रायशुमारी के दौरान उपचुनाव में प्रत्याशियों को परिवार से उतारने के सुझाव आए लेकिन परेशानी ये है कि परिवार में से किसी भी एक नाम पर आम राय नहीं बन पा रही है।
वल्लभ नगर विधानसभा क्षेत्र की बात करें तो यहां दिवंगत विधायक गजेंद्र सिंह के परिवार से चार-चार दावेदार हैं। गजेन्द्र सिंह की पत्नी प्रीति शक्तावत टिकट की दावेदारी कर रही हैं। गजेन्द्र सिंह के बड़े भाई देवेन्द्र सिंह शक्तावत भी टिकट मांग रहे हैं।
गजेन्द्र सिंह के भांजे राजसिंह झाला भी दावेदारी जता रहे हैं वहीं एक ओर रिश्ते के भाई कुबेर सिंह चावड़ा दावेदारी जता रहे हैं। सहाड़ा में भी दिवंगत विधायक कैलाश त्रिवेदी के परिवार से कई लोग टिकट के लिए दावेदारी जता रहे हैं। कैलाश त्रिवेदी के बेटे और कैलाश त्रिवेदी के छोटे भाई राजेंद्र त्रिवेदी दावेदारी जता रहे हैं।
इसी तरह से सुजानगढ़ में दिवंगत मास्टर भंवर लाल मेघवाल के पुत्र और पत्नी भी टिकट की मांग कर रहे हैं। हालांकि मेघवाल के पुत्र मनोज मेघवाल का लगभत तय बताया जा रहा है, लेकिन चूरू जिले के कांग्रेस नेताओं का एक धड़ा मास्टर भंवल लाल मेघवाल की पत्नी को टिकट देने की मांग कर रहे हैं। हालांकि भंवल लाल मेघवाल की पत्नी स्वयं तो टिकट के लिए दावेदारी नहीं जता रही है लेकिन उनके समर्थन में लगाातार लॉबिंग हो रही है। ऐसे में पार्टी के सामने प्रत्याशी चयन को लेकर परेशानी बढ़ गई है।
फूंक-फू्ंककर कदम रख रही कांग्रेस
वहीं कांग्रेस के लिए उपचुनाव साख का सवाल है चूंकि चार में से तीन सीटों पर कांग्रेस का कब्जा रहा है। ऐसे में पार्टी प्रत्याशी चयन में फूंक-फूंककर कदम रख रही है। तीनों सीटें सुजानगढ़, वल्लभ नगर और सहाड़ा में कांग्रेस दिवंगत विधायकों के परिवारो में से ही प्रत्याशी उतारना चाहती है जिससे चुनावों में जनता की सहानुभूति मिल जाए, लेकिन प्रत्याशी बनाए जाने से पहले कांग्रेस परिवार में किसी एक एक नाम पर एकराय बनने का इंतजार कर रही है। पार्टी नेता नहीं चाहते हैं कि टिकट वितरण के बाद परिवार वालों का नाराजगी झेलनी पड़े।