बकौल भट्ट, ‘मेरा जन्म कश्मीर में आर्थिक रूप से सम्पन्न परिवार में हुआ। सिल्वर स्पून में बचपन बीता और लग्जरी कार, बड़ा सा घर हुआ करता था। ऐसे भी दिन आए, जब हमें किराए के घर में रहना पड़ा, इसलिए मुझे पैसे से ज्यादा मोह नहीं है। अपने दिल की आवाज सुनकर आगे बढ़ता हूं। दोस्ती-यारी में जरूर कुछ काम कर लेता हूं। ‘राज रीबूट’ की थी। प्रोजेक्ट्स को लेकर बहुत सलेक्टिव रहा हूं। वही काम करना पसंद करता हूं, जो दिल को छूता है। थिएटर मेरे सबसे नजदीक है, इसलिए इससे कभी दूर नहीं होउंगा। बतौर एक्टर, प्रोड्यूसर और बैक स्टेज मेरी सेवाएं यहां लगातार जारी रहेंगी। अभी अक्षय कुमार के साथ फिल्म ‘केसरी’ पूरी की है।
भट्ट का कहना है कि पहली बार जब मंटो प्रोजेक्ट आया, तो उनकी बुक पढऩे लगा और लगातार सात दिन उनके लिखे को ही पढ़ता रहा। इसके बाद ‘ठंडा गोश्त’ प्ले किया’। वैसे तो पिता मेरे काम में इंटरेस्ट नहीं दिखाते, लेकिन जब उन्होंने यह प्ले देखा तो तारीफ की। पहली बार हमने मंटो को लंदन में प्रस्तुत किया था।