scriptक्यों होती है यहां शनिदेव की स्त्री रूप में पूजा, जानिए क्या है इतिहास और क्या है महात्मय | shani dev | Patrika News
जयपुर

क्यों होती है यहां शनिदेव की स्त्री रूप में पूजा, जानिए क्या है इतिहास और क्या है महात्मय

संसार में ऐसा कोई प्राणी नहीं है जो भगवान शनिदेव के प्रकोप से बच पाया हो। राजा हो या रंक सभी को शनि की साढे साती या ढैय्या का प्रकोप सहना ही पड़ता है। लेकिन, संकट मोचक हनुमान ही एक ऐसे देवता है जो शनिदेव के प्रकोप से बचा सकते हैं।

जयपुरJun 29, 2018 / 01:44 pm

Devendra Singh

shani

shanidev

जयपुर। संसार में ऐसा कोई प्राणी नहीं है जो भगवान शनिदेव के प्रकोप से बच पाया हो। राजा हो या रंक सभी को शनि की साढे साती या ढैय्या का प्रकोप सहना ही पड़ता है। लेकिन, संकट मोचक हनुमान ही एक ऐसे देवता है जो शनिदेव के प्रकोप से बचा सकते हैं। गुजरात राज्य में भावनगर के सारंगपुर में एक भव्य एवं बेहद प्राचीन मंदिर है। इसके पीछे एक पौराणिक मान्यता जुड़ी है जिसमें बताया गया है कि कैसे हनुमान जी ने शनि प्रकोप से अपने भक्तों को यहां मुक्ति दिलाई थी। यहाँ हनुमान जी की प्रतिमा के पैरों में शनिदेव स्त्री रूप धारण किए बैठे हैं। उसी प्रसंग से इस मंदिर का इतिहास जुड़ा है। इसीलिए यह मंदिर शनिदेव की साढ़े साती के प्रभाव वाले जातकों के लिए खास महत्व का है।
चमत्कारी है हनुमानजी की प्रतिमा
कहा जाता है हनुमान भक्तों पर शनिदेव का कभी प्रकोप नहीं होता। मंदिर के बारे में पौराणिक कथा प्रचलित है। इसके अनुसार सारंगपुर का कष्टभंजन हनुमान मंदिर बहुत ही चमत्कारी है। मंदिर में सच्चे मन से साधना करने वाले श्रद्धालुओं की सभी मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती हैं। ऐसा भी माना जाता है, यदि कुंडली में शनि का दोष हो तो कष्टभंजन हनुमान के दर्शन और पूजा-अर्चना करने मात्र से सभी दोष खत्म हो जाते हैं। इसी वजह से इस मंदिर में हमेशा भक्तों की भीड़ लगी रहती है।
शनि देव विराजे स्त्री रूप में

पौराणिक कथा के अनुसार एक समय शनिदेव का प्रकोप काफी बढ़ गया था। शनिदेव के प्रकोप से पृथ्वी पर रहने वाले मनुष्य त्राहि त्राहि करने लगे। जब शनिदेव का प्रकोप ज्यादा बढ़ने लगा तो लोगों ने भगवान हनुमान की शरण ली। भक्तों की करुण पुकार सुनकर हनुमानजी शनिदेव पर क्रोधित हो उन्हें दंड देने का निश्चय किया। जब दुखभंजन संकटमोचक हनुमान क्रोधित होकर शनिदेव दंड देने के लिए प्रस्थान किया। जब शनिदेव को जब इस बात का पता चला कि हनुमान जी उन्हें सबक सिखाने आ रहे हैं। तो शनिदेव ने स्त्री रूप धारण कर लिया। क्योंकि हनुमानजी ब्रह्मचारी थे, जिसके चलते वे एक स्त्री पर हाथ नहीं उठा सकते थे। स्त्री रूप धारण करने के बाद शनि देव हनुमानजी के सामने नतमस्तक गए। उनकी विनम्रता को हनुमान जी का क्रोध शांत हो गया। भक्तों पर से शनि देव का प्रकोप भी कम हो गया और उस स्थान पर भक्तों ने हनुमान जी का ये मंदिर बना दिया। तब से लेकर आज तक सारंगपुर के कष्टभंजन हनुमान मंदिर में शनिदेव को हनुमान जी के चरणों में स्त्री रूप में ही पूजा जाता है। भक्तों के कष्टों का निवारण करने के कारण इस मंदिर को कष्टभंजन हनुमान मंदिर के नाम से जाना जाता है।

Home / Jaipur / क्यों होती है यहां शनिदेव की स्त्री रूप में पूजा, जानिए क्या है इतिहास और क्या है महात्मय

loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो