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जयपुर

शनि जयंती : बने संयोग, पर मंदिरों ने नहीं पहुंच पाए लोग

ज्येष्ठ अमावस्या पर शुक्रवार को कृतिका नक्षत्र के साथ छत्र योग में शनि जयंती (shani jayanti) मनाई गई। इस दिन वृषभ राशि में सूर्य, बुध, शुक्र और चंद्रमा का चतुर्ग्रही योग भी बना। साथ ही शनि की स्वराशि मकर में गुरु और शनि का विशेष संयोग भी रहा। लोगों ने शनि देव की पूजा—अर्चना और तेलाभिषेक किए। हालांकि लॉकडाउन के चलते शनि महाराज के बड़े मंदिरों में श्रद्धालु नहीं पहुंच पाए। पुजारी और सेवकों ने शनिदेव का पंचामृत और तेलाभिषेक किया। इसदिन बड़पूजन अमावस्या (Badpujan Amavasya) भी मनाई गई।

जयपुरMay 22, 2020 / 05:34 pm

Girraj Sharma

शनि जयंती : बने संयोग, पर मंदिरों ने नहीं पहुंच पाए लोग

शनि जयंती : बने संयोग, पर मंदिरों ने नहीं पहुंच पाए लोग

शनि जयंती : बने संयोग, पर मंदिरों ने नहीं पहुंच पाए लोग


— लॉकडाउन के चलते शनिदेव के बडे मंदिरों में नहीं पहुंच पाए लोग
— बड़पूजन अमावस्या भी मनाई, महिलाओं ने किया व्रत

जयपुर। ज्येष्ठ अमावस्या पर शुक्रवार को कृतिका नक्षत्र के साथ छत्र योग में शनि जयंती (shani jayanti) मनाई गई। इस दिन वृषभ राशि में सूर्य, बुध, शुक्र और चंद्रमा का चतुर्ग्रही योग भी बना। साथ ही शनि की स्वराशि मकर में गुरु और शनि का विशेष संयोग भी रहा। लोगों ने शनि देव की पूजा—अर्चना और तेलाभिषेक किए। हालांकि लॉकडाउन के चलते शनि महाराज के बड़े मंदिरों में श्रद्धालु नहीं पहुंच पाए। पुजारी और सेवकों ने शनिदेव का पंचामृत और तेलाभिषेक किया। इसदिन बड़पूजन अमावस्या (Badpujan Amavasya) भी मनाई गई। महिलाओं ने पति की लम्बी उम्र के लिए बड़पूजन कर वटसावित्री की कथा सुनी।
शनि जयंती पर श्रद्धालुओं ने काली वस्तुओं का दान कर साढ़े साती और ढैय्या से मुक्ति की कामना की। एमआई रोड, सिंधी कैम्प, जगतपुरा, मालवीयनगर, बापूनगर और चारदीवारी के शनि मंदिरों में पुजारियों और सेवागीरों ने ही पूजा—अर्चना कर तेलाभिषेक किया। शनि महाराज के सड़क किनारे स्थित छोटे मंदिरों में जरूर श्रद्धालुओं ने शनिदेव का तेलाअभिषेक किया। श्रद्धालुओं ने तिल, सरसों के तेल से अभिषेक कर काला कपड़ा चढ़ाया। कुछ लोगों ने तिल, उड़द, काला कंबल, लोहा, कोयला आदि का दान भी किया।
बड़पूजन अमावस्या पर महिलाओं ने वट-सावित्री पूजन कर पति की दीर्घायु और परिवार में सुख—शांति की कामना की। लॉकडाउन के बाद भी व्रत रखने वाली महिलाओं में उत्साह नजर आया। शृंगार कर महिलाओं ने बरगद के पेड़ की पूजा कर व्रत संपन्न किया। इस बार महिलाओं ने मंदिरों के बजाय घरों में गमले में लगे वट के पौधे का पूजन किया। वट के तने पर रोली से तिलक लगाकर मिठाई का भोग लगाया। कुछ महिलाओं ने बरगद के पेड़ की टहनी घर में मंगवा कर उसकी पूजा की।
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