वैसे तो शनिवार को शनिदेव की पूजा के साथ हनुमानजी की भी पूजा की जाती है पर आज शिवजी की पूजा का भी दिन है। शनिवार को शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि के कारण इस व्रत का महत्व बढ गया है। ज्योतिषाचार्य पंडित नरेंद्र नागर बताते हैं कि शास्त्रों में कहा गया है प्रदोष व्रत में पूर्ण विश्वास से पूजा करने से भगवान शिव का आशीर्वाद प्राप्त होता है। शनिवार प्रदोष व्रत इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि इस दिन आस्थापूर्वक शिव, हनुमान और शनिदेव की पूजा करने से मनुष्य को उसका खोया हुआ मान-सम्मान, धन—संपत्ति पुन: प्राप्त हो जाती है। जिनका पैसा रुका हुआ है, किन्हीं कारणों से पदौन्नति हुई हो या उनका वैभव खत्म हो गया हो उन्हें आज यह पूजा जरूर करना चाहिए।
इस दिन पीपल में जल अर्पित करना चाहिए। शनि स्तोत्र और शनि चालीसा का पाठ करना भी शुभ माना जाता है। इस बार शनि प्रदोष के साथ पुष्य नक्षत्र का संयोग बना है जोकि शुभता बढा रहा है। भगवान शिव, हनुमान और शनिदेव की पूजा करें, ओम नम: शिवाय मंत्र का जाप करें और हनुमान चालीसा का सात बार पाठ करें। इसी के साथ शनिदेव के मंत्र ओम शं शनिश्चराए नम: या ओम प्रां प्रीं प्रौं स: शनिश्चराए नम: मंत्र का कम से कम 108 बार जाप करें। पूर्ण श्रदृधा से भगवान शिव, हनुमान और शनिदेव की प्रार्थना करें. यह तय है कि ईश्वरीय कृपा से आपको पद—प्रतिष्ठा—धन—संपत्ति की पुन: प्राप्ति हो जाएगी।