scriptकलक्टर ने दो बार पत्र लिखे, बार-बार फोन किए, तब जाकर जारी हुआ शहादत का सर्टिफिकेट | Shankarlal Barala of Shahpura | Patrika News
जयपुर

कलक्टर ने दो बार पत्र लिखे, बार-बार फोन किए, तब जाकर जारी हुआ शहादत का सर्टिफिकेट

आतंकियों से लोहा लेते हुए शहीद होने वाले जयपुर जिले के शाहपुरा तेजपुर गांव के शंकरलाल बराला के मामले में सीआरपीएफ यूनिट, राज्य सरकार और जिला प्रशासन की गंभीर लापरवाही उजागर हुई है।

जयपुरMar 03, 2019 / 02:34 pm

Kamlesh Sharma

Shankarlal Barala
विजय शर्मा/जयपुर। कश्मीर के बटवालू में 24 जुलाई, 2018 को आतंकियों से लोहा लेते हुए शहीद होने वाले जयपुर जिले के शाहपुरा तेजपुर गांव के शंकरलाल बराला के मामले में सीआरपीएफ यूनिट, राज्य सरकार और जिला प्रशासन की गंभीर लापरवाही उजागर हुई है। बराला के शहीद होने के सात महीने बाद तक सीआरपीएफ यूनिट की ओर से शहादत का सर्टिफिकेट जारी नहीं किया गया।
वहीं, राज्य सरकार ने शहीद के लिए पैकेज की घोषणा कर इतिश्री कर ली। जिला प्रशासन भी बेखबर रहा। जिले के शहीद को सरकार का पैकेज क्यों नहीं मिल रहा, इसकी जानकारी तक नहीं ली गई। इस बीच बैटल कैजुअल्टी सर्टिफिकेट के बिना सहायता नहीं मिलने पर शहीद का परिवार जिला प्रशासन से लेकर सांसद और सरकार के दर पर चक्कर लगाता रहा।
पुलवामा हमले में जिले के ही रोहिताश लांबा के शहीद होने पर शाहपुरा पहुुुंचे जिला कलक्टर जगरूप सिंह यादव के सामने यह मामला सामने आया। उन्होंने सीआरपीएफ यूनिट को दो बार पत्र लिखे। जबाव नहीं आया तो 10 बार फोन किए। इसके बाद यूनिट की ओर से जिला प्रशासन के पास बैटल सर्टिफिकेट पहुंचा है। अब जिला प्रशासन ने शंकरलाल के परिजनों को पैकेज दिलाने की कार्यवाही शुरू की है।
ग्रामीणों का हंगामा
पुलवामा में शहीद गोविंदपुरा बासेड़ी गांव में जब रोहिताश लांबा का शव पहुंचा तो परिजन और ग्रामीणों ने अंत्येष्टि नहीं करने दी। सेना, सरकार के मंत्री और प्रशासनिक अधिकारियों को खरी-खोटी सुनाई। परिजनों ने कहा कि सात महीने पहले शंकरलाल की अंत्येष्टि में मंत्री और अफसर आए थे। उसके बाद अब तक सरकार ने सुध नहीं ली है।
शहीद के भाई बोले दिल्ली तक गए, कहते रहे जल्द आएगा
शहीद शंकरलाल के भाई रामसहाय बराला ने बताया कि वे सैनिक कल्याण बोर्ड से लेकर दिल्ली तक गए। लेकिन कहीं सुनवाई नहीं हुई। लांबा की अंत्येष्टि में गांव आए अफसर और मंत्रियों से सर्टिफिकेट दिलाने की मांग की। अब राज्य सरकार ने 25 से बढ़ाकर 50 लाख सहायता कर दी। लेकिन हमें 25 भी नहीं मिली।
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