षट्तिला एकादशी के दिन भगवान विष्णु के निमित्त व्रत रखना चाहिए। ज्योतिषाचार्य पंडित सोमेश परवाई के अनुसार इस दिन भगवान विष्णु की गंध पुष्प धूप दीप आदि से षोड्षोपचार पूजन करना चाहिए। इस दिन उड़द और तिल की खिचड़ी बनाकर भगवान विष्णु को भोग लगाया जाता है। षट्तिला एकादशी पर रात्रि के समय तिल से हवन करना चाहिए। हवन करते समय ऊँ नमो भगवते वासुदेवाय स्वाहा. मंत्र के साथ आहूति देना चाहिए। कम से कम 108 बार आहूति दी जानी चाहिए।
षट्तिला एकादशी का व्रत रखनेवाले के अज्ञानता पूर्वक किये गये सभी अपराध खत्म हो जाते हैं। विष्णुजी की कृपा से वे सभी पापों से मुक्त होकर स्वर्ग में स्थान प्राप्त करते हैं। एकादशी व्रत करनेवालों को इस दिन विष्णु सहस्रनाम स्तोत्र का पाठ जरूर करना चाहिए। इसमें विष्णुजी की एक हजार नामों से स्तुति की गई है। विष्णु सहस्रनाम स्तोत्र का पाठ करने से दुख दूर होते हैंए जीवन में आनेवाले अवरोध समाप्त होते हैं और सुख प्राप्त होता है।
षट्तिला एकादशी के दिन भगवान विष्णु के पूजन के साथ ही तिल का महत्व है। इस दिन तिलों का 6 प्रकार से उपयोग किया जाता है। इसलिए इसे षट्तिला एकादशी व्रत कहा जाता है। पुलस्य ऋषि ने तिल के जिन 6 प्रकार के उपयोग की बात कही है उनमें तिल का उबटन लगाना, तिल मिश्रित जल से स्नान करना, तिल का तिलक लगाना, तिल मिश्रित जल का सेवन, तिल का सेवन करना तथा तिल से हवन करना शामिल है। इस दिन काले तिल के प्रयोग और दान का विशेष महत्व माना जाता है।
षट्तिला एकादशी शुभ मुहूर्त
एकादशी तिथि प्रारंभ 7 फरवरी 2021 सुबह 06 बजकर 26 मिनट से
एकादशी तिथि समाप्त 8 फरवरी 2021 सुबह 04 बजकर 47 मिनट तक
षटतिला एकादशी व्रत और पूजा- 7 फरवरी 2021 को दिनभर
एकादशी तिथि प्रारंभ 7 फरवरी 2021 सुबह 06 बजकर 26 मिनट से
एकादशी तिथि समाप्त 8 फरवरी 2021 सुबह 04 बजकर 47 मिनट तक
षटतिला एकादशी व्रत और पूजा- 7 फरवरी 2021 को दिनभर