राष्ट्रपति शासन लगने के बाद भी राज्य में नई सरकार के गठन का विकल्प खुला रहेगा। यदि कोई दल या गठबंधन राज्यपाल को यह भरोसा दिलाता है वह स्थिर सरकार बना सकता है तो राज्यपाल बहुमत का आंकड़ा मांग सकते हैं। समर्थक विधायकों की परेड कराने का आदेश भी दे सकते हैं। संतुष्ट होने पर राज्यपाल राष्ट्रपति शासन खत्म करने की सिफारिश कर नई सरकार के गठन का रास्ता खोल सकते हैं।
&हमने राज्यपाल महोदय से 24 घंटे का समय मांगा था, लेकिन उन्होंने तो राष्ट्रपति शासन लगाकर हमें छह महीने का समय दे दिया। हम अभी भी सरकार बना सकते हैं।
– उद्धव ठाकरे, शिवसेना प्रमुख
ए नसीपी नेता शरद पवार के साथ साझा प्रेस कॉन्फ्रेंस में कांग्रेस नेता अहमद पटेल ने कहा कि महाराष्ट्र में राष्ट्रपति शासन की जरूरत नहीं थी। केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइन का पालन नहीं किया। उन्होंने पूछा, राज्यपाल ने कांग्रेस को आमंत्रित क्यों नहीं किया? इससे पहले दोनों दलों के नेताओं के बीच ढाई घंटे तक बैठक हुई। वहीं एनसीपी नेता प्रफुल्ल पटेल ने कहा कि शिवसेना ने 11 नवंबर को पहली बार कांग्रेस-एनसीपी को गठबंधन का प्रस्ताव भेजा था। एनसीपी प्रमुख शरद पवार ने कहा कि हमें बातचीत के लिए समय चाहिए। उधर, शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे ने भी कहा कि उन्होंने सोमवार को ही दोनों पार्टियों से आधिकारिक बात की थी। उन्होंने कहा कि राज्यपाल ने हमें महज 24 घंटे दिए वहीं भाजपा को 48 घंटे। एनसीपी व कांग्रेससे हमारे वैचारिक मतभेद हैं, इन पर बात करने के लिए ही हमें समय की जरूरत है। जब जम्मू-कश्मीर में भाजपा-पीडीपी की सरकार न्यूनतम साझा कार्यक्रम पर बनी थी तो महाराष्ट्र में क्यों नहीं बन सकती। हम आज भी सरकार बना सकते हैं। ठाकरे रीट्रीट होटल में अपने विधायकों से मिलने के बाद प्रेस कॉन्फ्रेंस में पहुंचे थे। उन्होंने कहा कि भाजपा से रिश्ता शिवसेना नहीं बल्कि भाजपा ने ही खत्म किया है।