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जयपुर

फरवरी के बाद जरूरी दवाओं की हो सकती है किल्लत : फिक्की

कोरोना वायरस : भारत समेत पूरी दुनिया पर असर
 

जयपुरFeb 17, 2020 / 12:58 am

Vijayendra

Maha Corona virus

Corona Virus


नई दिल्ली.
कोरोना वायरस ने चीन में कोहराम मचा रखा है। इसके चलते भारत समेत पूरी दुनिया पर असर पड़ रहा है। वायरस के प्रकोप के चलते भारत में कुछ जरूरी दवाओं की किल्लत हो सकती है। उद्योग संगठन फिक्की ने कहा है कि चीन से कच्चे माल की आपूर्ति अगर दो महीने तक प्रभावित हुई तो भारत में आम तौर पर इस्तेमाल की जाने वाली दवाओं जैसे पैरासिटामोल, आइबूप्रोफेन, कुछ एंटीबायोटिक्स तथा डायबिटिज की दवाओं के उत्पादन पर प्रतिकूल असर पड़ सकता है। वायरस की वजह से स्मार्टफोन तथा सोलर उपकरणों का उत्पादन तथा आपूर्ति पर पहले से ही प्रभावित है।
कंपनियां रखती हैं दो माह का स्टॉक
भारतीय दवा कंपनियां आमतौर पर कच्चे माल का दो महीने का स्टॉक अपने पास रखती हैं। फिलहाल कोई किल्लत नहीं है, लेकिन यदि कोरोना के कारण चीन में शटडाउन फरवरी से आगे बढ़ता है तो भारत में बनी कुछ दवाओं की कीमतें बढ़ सकती हैं।
संकट टालने के उपाय तेज
इस बीच केंद्र सरकार ने कहा है कि कंपनियों के पास अप्रैल तक दवाओं का प्रचुर स्टॉक है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय तैयारी कर रहा है कि अगर अगले 15 दिनों तक चीन में शटडाउन जारी रहा तो दवाओं की किल्लत नहीं हो। इसके लिए उपाय भी किए जाएंगे। सरकार ने कुछ विशेष दवाओं की पहचान की है, जिसकी एपीआइ का मुख्य स्रोत हुबेई प्रांत है और यह कोरोना वायरस का केंद्र बिंदु है।
90 प्रतिशत तक कच्चा माल चीन से
फिक्की के मुताबिक पेनिसिलीन तथा इससे जुड़ी कुछ अन्य दवाओं के उत्पादन के लिए 90 प्रतिशत कच्चा माल चीन से आता है। वहीं, टेलिकॉम उपकरणों और कुछ जैविक कंपाउंड जैसे सेगमेंट में 70 फीसदी माल चीन से आता है।
किस दवा का कितने दिन का स्टॉक शेष
20 फरवरी तक : आइबूप्रोफेन, पैरासिटॉमोल, टेल्मीसर्टान, जेंटामाइसिन सल्फेट, सिप्रोफॉक्सी, एम्पीसिलीन ट्राइहाइड्रेट
20 मार्च तक : मेटफॉर्मिन हाइड्रोक्लोराइड
20 अप्रेल तक : अटोवैस्टेशन पेलेट्स
20 मई तक : नियोमाइसिन सल्फेट
दुनियाभर की विमान कंपनियों पर असर
कोरोना वायरस के प्रकोप के चलते 21 एयरलाइंस को चीन की सभी उड़ानें रद्द करनी पड़ी हैं। इनमें डेल्टा, यूनाइटेड, क्वांटाज और एयर फ्रांस शामिल हैं।
ट्रैवल डेटा और एनालिटिक्स फर्म सिरियम के अनुसार 23 जनवरी को वुहान हवाई अड्डे के बंद होने के बाद से तीन हफ्तों में चीन जाने वाली 85,000 से अधिक उड़ानें रद्द कर दी गईं, जिनमें से अधिकांश घरेलू थीं। ब्रिटिश एयरवेज ने अपनी दैनिक बीजिंग और शंघाई उड़ानों को मार्च अंत तक के लिए रद्द कर दिया है। वर्जिन ने शंघाई की उड़ानों को निलंबित कर दिया है। ब्रिटिश एयरवेज के 24 हजार यात्री चीन की यात्रा नहीं कर पाए हैं। मार्च अंत तक यही हालात रहे तो यह संख्या दोगुनी हो सकती है। हांगकांग स्थित कैथे पैसिफिक को सबसे ज्यादा नुकसान पहुंचा है। उसने चीन की 90 प्रतिशत उड़ानें रद्द की हैं। एयरलाइंस के 27 हजार कर्मचारियों ने अपनी कंपनी को बचाने के लिए अवैतनिक अवकाश ले लिया है।
कारखानों का भटृा बैठा
-डेटा कंपनी डन एंड ब्रैडस्ट्रीट के अनुसार दुनिया की 50 लाख कंपनियों में चीन से कल-पुर्जे या माल सप्लाई होता है। इन सभी पर असर हुआ है।
-एपल की आपूर्तिकर्ता कंपनी फॉक्सकॉन ने शेंजेन कारखाने को खोलने की योजना टाल दी है।
-खाद्य कंपनियों क्राफ्ट हेंज और पेप्सिको ने चीनी कारखाने बंद कर दिए हैं।
-वुहान ऑटो पाटर्स बनाने का प्रमुख केंद्र है। फ्रांस की रेनो व प्यूजो, जर्मन की फॉक्सवैगन व बीएमडब्ल्यू, ब्रिटेन की जगुआर लैंड रोवर जैसी कार निर्माता कंपनियों के चीनी भागीदारी से चलने वाले कारखानों में ताले लगे हैं।
-होंडा ने शनिवार को ही अपने वुहान संयंत्र को खोलने की योजना एक हफ्ते के लिए टाल दी है।
-ऑटो पाट्र्स के अभाव में हुंडई ने दक्षिण कोरिया के उल्सान स्थित अपना विशाल कारखाना अस्थाई रूप से बंद कर दिया है।

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