जयपुर

सर्जरी के तीन घंटे बाद चल-फिर सकता है मरीज, जॉइंट रिप्लेसमेंट में नई तकनीक से बेहतर परिणाम

आमतौर पर माना जाता है कि घुटनों की समस्याओं के इलाज के लिए जॉइंट रिप्लेसमेंट कराने के कुछ समय बाद ही मरीज चलना-फिरना शुरू कर पाता है।

जयपुरAug 04, 2021 / 10:13 pm

Kamlesh Sharma

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जयपुर। आमतौर पर माना जाता है कि घुटनों की समस्याओं के इलाज के लिए जॉइंट रिप्लेसमेंट कराने के कुछ समय बाद ही मरीज चलना-फिरना शुरू कर पाता है। लेकिन अब शॉर्ट स्टे सर्जरी विद फास्टट्रैक रिहेबिलिटेशन तकनीक से टोटल नी रिप्लेसमेंट सर्जरी करने के तीन घंटे बाद ही मरीज चलना-फिरना शुरू कर सकता है। इस तकनीक से होने वाली सर्जरी के बाद मरीज को मानसिक व शारीरिक दोनों रूप से तैयार किया जाता है।
क्या है शॉर्ट स्टे सर्जरी विद फास्ट ट्रैक रिहैबिलिटेशन तकनीक
विशेषज्ञों के अनुसार शॉर्ट स्टे सर्जरी विद फास्टट्रैक रिहैबिलिटेशन तकनीक से जॉइंट रिप्लेसमेंट सर्जरी के बेहतर परिणाम मिलते हैं। शैल्बी हॉस्पिटल के जॉइंट रिप्लेसमेंट सर्जन डॉ. धीरज दुबे ने बताया कि इसमें सर्जरी करने से पहले किसी प्रकार का कैथेटर और ड्रेनेज नहीं लगाया जाता, जिससे मरीज को भी मानसिक रूप से यह महसूस कराने का प्रयास किया जाता है कि वह बीमार नहीं है और उसे सर्जरी के बाद चलना है। इस मिनिमल इनवेसिव सर्जरी में मरीज को छोटा चीरा लगाया जाता है और न ही मांसपेशी को नहीं काटा जाता है। इससे सर्जरी में कम रक्त रहता है और 15 से 20 मिनट में ही सर्जरी हो जाती है। सर्जरी से मरीज के घुटने से ऊपर जांघ पर कसकर बांधे जाने वाली पट्टी का इस्तेमाल भी नहीं होता है, क्योंकि जब यह पट्टी खुलती है तो मरीज को तेज दर्द होता है, जिससे वह चल-फिर नहीं पाता है।
ऑपरेशन के कुछ घंटे बाद ही चलना शुरू
इस तकनीक से सर्जरी होने के कई फायदे हैं। सर्जरी के तीन घंटे बाद मरीज को वॉकर की सहायता से चलना शुरू हो जाता है और दो दिनों में वह सीढिय़ां चढ़ सकता है व बिना सहारे के चल सकता है। अधिक उम्र के लोगों में रिप्लेसमेंट सर्जरी होने के बाद फास्ट ट्रैक तकनीक से उनमें डीवीटी या इंफेक्शन का खतरा भी कम हो जाता है और दवाओं में भी कमी आ जाती है। इस तकनीक से मरीज सर्जरी के परिणाम तेजी से सामने आते देख मानसिक रूप से भी जल्दी स्वस्थ हो जाते हैं।
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