अफसरों का यह तर्क लम्बी अवधि के अनुबंध पर सवाल उठते रहे हैं। क्योंकि, कुछ वर्ष बाद ही बिजली खरीद दर में कमी आ आती रही है, लेकिन अनुबंध में बंधे रहने के कारण डिस्कॉम्स को मजबूरन महंगी बिजली खरीदनी पड़ती है। उधर, अफसरों ंका तर्क है कि कम अवधि का अनुबंध करते तो खरीद दर और ज्यादा आती।
सेकी के जरिए इनसे होगी खरीद कंपनी—–क्षमता(मेगावाट) —टैरिफ (रु. प्रति यूनिट) कैल्पाइन सब्सिको सोलर एनर्जी- 90— 2.17 रिन्यू सोलर पावर- 600———— 2.17 मेटका इंजी. सिंगापुर होल्डिंग- 20—- 2.17 एसीएमई सोलर होल्डिंग- 375——-2.18
राजस्थान को छत्तीसगढ़ से कोयला है बंद -छत्तीसगढ़ में राज्य विद्युत उत्पादन निगम को आवंटित खदान (पारसा ईस्ट-कांटा बासन कोल ब्लॉक) में कोयला खत्म हो चुका है। कुछ कोयला बचा था, वह भी स्थानीय लोगों के आंदोलन के कारण नहीं आ पा रहा है।
-छत्तीसगढ़ के सरगूजा में ही एक्सटेंशन के तौर पर 841 हेक्टेयर क्षेत्रफल में खदान आवंटित है। केन्द्र और छत्तीसगढ़ सरकार ने खनन की अनुमति भी दे दी, लेकिन कुछ एनजीओ और स्थानीय लोग विरोध के कारण काम शुरू नहीं हो सका। अब तो छत्तीसगढ़ सरकार भी विरोध करने वालों के दबाव में है।