यदि यही रफ्तार रही तो अगले सौ साल में राजधानी से सर्दी खत्म हो जाएगी। ये चौंकाने वाले तथ्य मौसम विभाग के 24 साल के अध्ययन में सामने आए हैं। विभाग ने प्रदूषण, ग्रीन हाउस गैस और हरियाली में लगातार हो रही कमी से प्रदेश में होने वाले पर्यावरण परिवर्तन और उनके दुष्परिणामों को लेकर प्रदेश के चार बड़े शहरों में अध्ययन किया है।
मौसम विज्ञान केंद्र के अध्ययन की माने तो औसत तापमान में वृद्धि की यदि यही रफ्तार जारी रही तो सितंबर माह के औसत तापमान में ही 7.5 डिग्री सेल्सियस की बढ़ोतरी जो जाएगी। इसी क्रम में राजधानी में अन्य माह में औसत तापमान में वृद्धि होगी, जिससे राजधानी में सर्दी पड़ेगी ही नही। यदि दिसंबर माह की ही बात की जाए इस बार तुलनात्मक रूप से सर्दी पिछले पांच सालों की तुलना में कम पड़ी है।
मौसम विज्ञान केंद्र भोपाल के पूर्व डायरेक्टर अनुपम काश्यपि ने कहा, यह मत सोचिए की भोपाल में बहुत हरियाली है, जिस तेजी से इसका विस्तार हो रहा है। तुलनात्मक रूप से हरियाली लगातार कम हो रही है। वाहनों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है। पर्यावरण में कार्बन डाई ऑक्साइड, कार्बन मोनो ऑक्साइड, क्लोरो फ्लोरो कार्बन, मीथेन जैसी गैसें बढ़ रही है। पारा 30 डिग्री सेल्सियस के करीब रहेगा।
पश्चिमी विक्षोभ के कारण हवाओं की दिशा में परिवर्तन
उधर, अरब सागर से आ रही नमी के साथ ही पश्चिमी विक्षोभ के चलते राजधानी सहित प्रदेश के विभिन्न हिस्सों में दिन और रात के तापमान में खासी बढ़ोतरी दर्ज की गई। भोपाल में रविवार दिन का अधिकतम तापमान २९.७ और न्यूनतम तापमान 14.5 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया। एेसे में लोगों को गर्मी का अहसास होने लगा।
उधर, अरब सागर से आ रही नमी के साथ ही पश्चिमी विक्षोभ के चलते राजधानी सहित प्रदेश के विभिन्न हिस्सों में दिन और रात के तापमान में खासी बढ़ोतरी दर्ज की गई। भोपाल में रविवार दिन का अधिकतम तापमान २९.७ और न्यूनतम तापमान 14.5 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया। एेसे में लोगों को गर्मी का अहसास होने लगा।
वरिष्ठ मौसम वैज्ञानिक एसके नायक के अनुसार पश्चिमी विक्षोभ के कारण हवाओं की दिशा में परिवर्तन हुआ है। अभी तक जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश सहित ठंड वाले स्थानों से आने वाली हवाएं अचानक छत्तीसगढ़, पश्चिम बंगाल, झारखंड की ओर से आने लगी हैं।