शहरों में सभी टॉवर पर 5जी के बीटीएस (बेस ट्रांसीवर स्टेशन) नहीं लगाए गए। ऐसे में एक इलाके से 5जी से कॉलिंग की गई, लेकिन दूसरी इलाके में 5जी लैस बीटीएस नहीं है तो 4जी पर कई कॉल डायवर्ट फेल हुई। ऐसा नहीं हो, इसके लिए हर टॉवर पर 4जी के साथ 5जी लैस बीटीएस भी होना जरूरी है।
भारतीय दूरसंचार विनियामक प्राधिकरण (ट्राई) और दूरसंचार विभाग (डीओटी) मानने को तैयार नहीं है कि राजस्थान में कॉल ड्राप समस्या है। वे केवल कनेक्टिविटी ड्राइव टेस्ट की कागजी रिपोर्ट पर ही भरोसा किए बैठे हैं।
-ट्राई ने तकनीकी खामी के कारण 2 प्रतिशत कॉल ड्राप को छूट के दायरे में ले रखा है, लेकिन इससे ज्यादा होने पर ही पेनल्टी का प्रावधान है।
-ज्यादातर ड्राइव टेस्ट रिपोर्ट में कॉल ड्राप दर दो प्रतिशत से कम रहती आई है। जबकि, धरातल पर हकीकत यह है कि कॉल ड्राप समस्या बढ़ रही है।
-ट्राई व डीओटी अधिकारियों का तर्क है कि ज्यादातर प्रभावित उपभोक्ता शिकायत ही दर्ज नहीं कराते। ऐसे में जो अधिकारिक रिकॉर्ड होगा, उसी आधार पर रिपोर्ट जारी होती है।
-सवाल यह है कि, कनेक्टिविटी ड्राइव टेस्ट में सीधे उपभोक्ताओं की भागीदारी नहीं होती। इसमें उपकरण के जरिए अलग-अलग कनेक्टिविटी जांची जाती है। जब उपभोक्ता प्रभावित हैं तो वह दर्ज क्यों नहीं हो पाती।
जयपुर, जाेधपुर, उदयपुर, कोटा चुप नहीं बैठें, करें शिकायत
-संबंधित मोबाइल ऑपरेटर के कॉल सेंटर पर
-दूरसंचार विभाग और भारतीय दूरसंचार विनियामक प्राधिकरण किस ऑपरेटर के कितने उपभोक्ता
एयरटेल- 2.19 करोड़
वोडाफोन-आइडिया- 1.04 करोड़
रिलायंस जियो- 2.42 करोड़
बीएसएनएल- 63.78 लाख
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