शुभम ब्रोकर्स के पिन्टू अग्रवाल ने बताया कि वर्तमान में काबली चने का किसी भी मंडी में विशेष स्टॉक नहीं है और ना ही ज्यादा कारोबार हुआ है। इन सबके बावजूद बाजारों में धन की तंगी एवं कोरोना महामारी के कारण पिछले चार माह से मंडियों में 75 फीसदी व्यापार नहीं होने से कीमतों में कोई उल्लेखनीय फेरबदल नहीं हुआ है। जानकारों का कहना है कि रेल मार्ग चालू होने के बाद काबली चने में संभवतया अच्छी तेजी की उम्मीद है। देश में 70 फीसदी काबली चने का उत्पादन मध्य प्रदेश एवं कर्नाटक में होता है। शेष 30 फीसदी काबली महाराष्ट्र एवं उत्तर प्रदेश में होता है। इस बार मौसम प्रतिकूल होने से काबली चने की तैयार फसल को काफी नुकसान हुआ है। इस बीच सीजन में आयातकों को भी हानि उठानी पड़ी है। इसलिए कहा जा सकता है कि इस माह के अंत तक काबली चने में 250 से 300 रुपए प्रति क्विंटल की तेजी बन सकती है।